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नौनिहालों के नाजुक कंधों पर भारी पड़ रहा स्कूल बैग का बोझ

आज कल स्कूली बच्चों को बड़े और भारी स्कूल बैग ढोते देखना आम बात है.

चेनारी. आज कल स्कूली बच्चों को बड़े और भारी स्कूल बैग ढोते देखना आम बात है. कई बैग तो इतने बड़े होते हैं कि सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या इतना भारी बैग न सिर्फ पीठ दर्द का कारण बन रहा है, बल्कि स्कोलियोसिस या रीढ़ की हड्डी की अन्य विकृतियों सहित अन्य प्रकार की क्षति भी पैदा कर रहा है. चिकित्सा प्रभारी डॉ अविनाश कुमार ने बताया कि एक औसत स्कूली बच्चा एक दिन में लगभग आठ अलग-अलग विषयों को पढ़ता है. इसका मतलब है कि बच्चे कम से कम आठ अलग-अलग स्कूली किताबें ढोते हैं, और इसमें अन्य नोटबुक, वर्कशीट और अन्य जरूरी चीजें शामिल होती हैं. समय के साथ भारी बैग ढोने के कारण अक्सर बच्चों को पीठ दर्द का अनुभव होता है, लड़कियों को आमतौर पर लड़कों की तुलना में ज्यादा दर्द होता है. विशेष रूप से बैग ढोने वाले बच्चों का सिर अक्सर आगे की ओर झुक जाता है, जिससे पीठ पर पड़े भारी वजन को संतुलित करने और संतुलित करने के लिए शरीर कूल्हों पर आगे की ओर झुक जाता है, जिससे अप्राकृतिक परेशानी होता है. आजकल, बच्चों को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है या उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है. लेकिन असल में ये महत्वपूर्ण मामले हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है. कुछ माता-पिता इस बात से पूरी तरह अनजान होते हैं कि उनके बच्चे हर दिन अपने बैग में कितना वजन ढो रहे हैं, और जब उनके बच्चे पीठ दर्द की शिकायत करने लगते हैं, तो उन्हें इसका कारण पता भी नहीं चलता है. क्योंकि, उन्होंने उस समय इस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया. बच्चे के बैग का वजन उसके वजन और कद के हिसाब से होना चाहिए. रीढ़ की हड्डी और मांसपेशियां हो रही बीमार:- चिकित्सकों का स्पष्ट कहना है कि बच्चों की रीढ़ की हड्डी और मांसपेशियां इस अनावश्यक बोझ सहने के लिए ठीक ढंग से विकसित नहीं हो पा रही हैं, जिसकी वजह से बच्चों की पीठ, गर्दन, कंधे में दर्द और मांशपेशियों में खिंचाव जैसी दिक्कतें आम हो गयी हैं. डॉक्टरों का कहना है कि बस्तों का यह बोझ बच्चों की रीढ़ की हड्डी में विकृति और कुबड़ापन जैसी समस्याओं की वजह बन सकता है. हड्डी रोग विशेषज्ञ का मानना है कि बच्चों के बस्ते का वजन उनके शरीर के वजन से 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए. लेकिन, जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है. शहर के तमाम स्कूलों में छोटे-छोटे बच्चे पांच से सात किलो वजनी बस्ता लेकर स्कूल आते हैं. इसके अलावा ऊपर की मंजिल पर लगने वाली कक्षाएं बस्ते के बोझ को परेशान करती हैं. चिकित्सक बताते हैं कि यह उनके नाजुक शरीर पर बहुत ज्यादा दबाव डालता है. इससे उनका चलने-फिरने का तरीका भी प्रभावित होता है. पीठ पर बस्तों के भारी वजन की वजह से आमतौर पर बच्चे आगे की ओर झूक कर चलते हैं. इनकी वजह से उनके चलने की स्वाभाविक मुद्रा में बदलाव आ जाता है. भारी बस्ते का बोझ बच्चों को मानसिक और भावनात्मक रूप से भी प्रभावित करता है. एक्टिविटी बुक बढ़ा रही बोझ निजी स्कूलों में खासतौर पर रोजाना अलग-अलग विषयों की मुख्य किताबों के साथ-साथ एक्टिविटी बुक भी मंगवायी जाती हैं. ये काफी भारी भी होती हैं, अलग-अलग प्रोजेक्ट को लेकर भी स्टेशनरी का भार बढ़ रहा है. ऐसे में स्कूलों में शिक्षकों को ध्यान देना होगा कि पाठ्यक्रम के अलावा दूसरी गैर-जरूरी किताबें न मंगवायें, जिन पुस्तकों की घरों में पढ़ाई के दौरान जरूरत नहीं पड़ती, उनको स्कूलों में ही रखने की व्यवस्था करनी चाहिए. वहीं, अभिभावकों को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए कि स्कूल बैग के अंदर बिना जरूरत की पुस्तकें न हों. बोले अभिभावक –बैग में इतनी एक्सट्रा किताबें होती है कि बच्चों के बैग का भार बहुत ज्यादा हो गया है. रोजाना कई किताबें मंगवायी जाती है, जो ले जानी अनिवार्य है. अलग-अलग प्रोजेक्ट को लेकर भी स्टेशनरी का भार बढ़ रहा है. इसको लेकर सरकार की ओर से ध्यान देने की जरूरत है.- अरविंद कुमार चौरसिया, अभिभावक बोले निदेशक –जूनियर कक्षाओं के छात्रों के बैग के भार का ध्यान रखा जाता है. वही किताबें मंगवाई जाती है जो जरूरी है, अतिरिक्त भार को कम किया गया है. लेकिन कई स्कूलों में देखने को मिलता है कि बच्चों से एक्टिविटी बुक्स के नाम पर कई अतिरिक्त किताबें बढ़ायी जा रही है.- संतोष कुमार, निदेशक, पैराडाइज चिल्ड्रन एकेडमी बोले चिकित्सक 10-12 साल के कई बच्चे ऐसे आते हैं, जो इतनी कम उम्र में बैक पेन की समस्या से जूझते है. यह उम्र बच्चों के शरीर में काफी बदलाव लाती है. बच्चों के बैंक पेन का कारण भारी बैग भी है. सर्वाइकल पैन की समस्या बहुत ज्यादा आने लगी है.- डॉ संजय कुमार गुप्ता बोले बीइओ निजी स्कूल हो या सरकारी स्कूल, सभी के लिए यह नियम तय है. इसे लेकर स्कूलों की जांच भी की जायेगी. खासतौर पर प्राइमरी स्तर के स्कूलों का निरीक्षण होगा, स्कूलों को तय नियमों के अनुसार चलना होगा.- लेखेंद्र पासवान, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, चेनारी —भारी बैग ढोने के कारण अक्सर बच्चों में पीठ दर्द की आ रही शिकायत बच्चे के बैग का वजन उसके वजन व कद के हिसाब से होना चाहिए

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