भारतमाला एक्सप्रेसवे को लेकर किसान हैं आंदोलित कॉमर्शियल व खेती योग्य भूमि को लेकर फंसा पेच फोटो-20- उचित मुआवजे सहित अन्य मांगों को लेकर धरने पर बैठे किसान. प्रतिनिधि, चेनारी/सासाराम कार्यालय अब याचना नहीं रण होगा. अगर उचित मुआवजा नहीं मिला, तो हम आत्मदाह करेंगे. यह कैसी बात हुई कि हमारी जमीन जो कॉमर्शियल है, उसका भी मुआवजा सरकार खेत का दे रही है. यह गलत है. यह बात सेमरी गांव में धरने पर बैठे किसानों ने कही. किसान सुनील सिंह ने कहा कि मेरे परिवार की आजीविका इसी जमीन से चल रही है. हमारी पूरी जमीन एक्सप्रेसवे में जा रही है. मेरी जमीन पक्की सड़क के किनारे है, जो आवासीय है और व्यावसायिक है. लेकिन, मुझे मुआवजा खेत का दिया जा रहा है. हमारे सामने एक ही विकल्प है कि उचित मुआवजा मिले. अगर उचित मुआवजा नहीं मिला, तो हम आत्मदाह कर लेंगे. वहीं, किसान आशुतोष तिवारी, राजेश यादव आदि ने कहा कि हम बगैर उचित मुआवजे का भुगतान किये प्रशासन को अपनी जमीन को दखल नहीं करने देंगे. उन्होंने कहा कि भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग बिहार सरकार के अपर सचिव ने पूर्व में ही भूमि की प्रकृति के निर्धारण को लेकर आदेश जारी किया था, जिसे स्थानीय प्रशासन को मान्य करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुआवजा बढ़ाने के साथ एक जरूरी कार्य यह है कि भारतमाला एक्सप्रेस वे समीप एक सहायक पथ बनाया जाए, ताकि हमारी बची हुई जमीन उपयोगी हो सके. उचित मुआवजा के लिए हम तीन साल से संघर्ष कर रहे हैं. सरकार हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है और जबरन कब्जा करना चाह रही है, जो हमारे जीते-जी संभव नहीं है. यह प्रतिक्रिया किसानों ने मंगलवार को पुलिस बल के साथ भारतमाला एक्सप्रेस वे का कार्य शुरू कराने गए अफसरों से गरमागरम बहस के बाद दूसरे दिन बुधवार को किसानों ने दी. हालांकि, मंगलवार की घटना के बाद सड़क निर्माण का कार्य फिलहाल रुक गया है.
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