Earthquake: पटना. पिछले कुछ दिनों में भारत के अलग-अलग हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. शुक्रवार की सुबह भी बिहार में भूकंप के झटके महसूस किये गये. इसका केंद्र नेपाल बताया जा रहा है. भारत में एक साथ इतने भूकंप आने का क्या है मतलब. कहीं ये बड़ी तबाही के आहट तो नहीं. भूगर्भ वैज्ञानिकों के लिए यह एक बड़ा सवाल बनता जा रहा है. भारत के इतने इलाकों में एक ही कालखंड में इतने भूकंप के झटके पहले कभी महसूस नहीं किये गये. ऐसे में यह एक गंभीर संकेत की ओर सोचने को बाध्य कर रहा है.
सुबह में आ रहे हैं अधिकतर भूकंप
हाल के दिनों में आये भूकंप में एक ट्रेंड देखने को मिला है. ज्यादातर झटके सुबह के समय आए हैं. उदाहरण के लिए, 17 फरवरी को दिल्ली-एनसीआर में सुबह 4.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका केंद्र दिल्ली-एनसीआर में ही था. इसी तरह, 27 फरवरी को असम के मोरीगांव जिले में 5.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिससे लोगों में दहशत फैल गई. इस भूकंप के झटके बांग्लादेश, म्यांमार, भूटान और चीन में भी महसूस किए गए. लगातार इतने सारे भूकंप आने की वजह क्या है. क्या ये कोई बड़ी तबाही होने का संकेत है.
बार-बार भूकंप का खतरा क्यों
एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली तीन सक्रिय भूकंपीय रेखाओं के पास स्थित है. विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली एक जोखिम भरा इलाका है, क्योंकि यह सात फॉल्ट लाइन पर स्थित है. अगर ये सक्रिय हो जाते हैं, तो उच्च तीव्रता का भूकंप आ सकता है और वो तबाही मचा देगा. भूकंप विज्ञानियों का कहना है कि टेक्टोनिक प्लेटों में होने वाले बदलावों को महसूस किया जा रहा है. अगर यह बदलाव बड़े पैमाने पर होनेवाले हैं तो फिर एक बड़े खतरे के लिए हमें तैयार रहना होगा.
ऐसे बांटे गए हैं जोन
देश के भूकंपीय क्षेत्र मानचित्र के अनुसार, कुल क्षेत्र को चार भूकंपीय क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है. जोन 5 वह क्षेत्र है, जहां सबसे तीव्र भूकंप आते हैं, जबकि सबसे कम तीव्र भूकंप जोन 2 में आते हैं. देश का लगभग 11% क्षेत्र जोन 5 में, 18% क्षेत्र जोन 4 में, 30% क्षेत्र जोन 3 में और शेष क्षेत्र जोन 2 में आता है. गुजरात, हिमाचल प्रदेश, बिहार, असम, मणिपुर, नागालैंड, जम्मू और कश्मीर और अंडमान और निकोबार जोन-5 में आते हैं, जबकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) जोन-4 में है, जो दूसरी सबसे ऊंची श्रेणी है.
कितने स्केल पर कितना हो सकता है नुकसान?
रिक्टर स्केल पर जब 0 से 1.9 तीव्रता का भूकंप होता है तो सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है.
रिक्टर स्केल पर 2 से 2.9 की तीव्रता का भूकंप होता है तो हल्का कंपन होता है.
रिक्टर स्केल पर 3 से 3.9 की तीव्रता होती है तो ऐसा लगता है जैसे कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए.
रिक्टर स्केल पर 4 से 4.9 की तीव्रता होती है तो भूकंप से खिड़कियां टूट सकती हैं. दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं.
रिक्टर स्केल पर 5 से 5.9 की तीव्रता होती है तो घर का फर्नीचर हिल सकता है.
रिक्टर स्केल पर 6 से 6.9 की तीव्रता होती है तो इमारतों की नींव दरक सकती है.
रिक्टर स्केल पर 7 से 7.9 की तीव्रता होती है तो इमारतें गिर जाती हैं.
रिक्टर स्केल पर 8 से 8.9 की तीव्रता होती है तो इमारतों समेत बड़े पुल भी गिर जाते हैं. तब सुनामी का खतरा होता है.
रिक्टर स्केल पर 9 और उससे ज्यादा की तीव्रता होती है तो तबाही आ सकती है.
Also Read: Bihar Earthquake: रात के अंधेरे में डोली धरती, बिहार में महससू किए गए भूकंप के झटके, 5 थी तीव्रता