– पंकज कुमार सिंह –
पटना : अब मच्छर भगाने के लिए जहरीले क्वायल व लिक्विड जलाने की जरूरत नहीं होगी. जावा सिट्रोनेला मच्छरों की समस्या से लोगों को निजात दिलायेगा. डेंगू व मलेरिया का प्रकोप भी रुकेगा. इसके अर्क के छिड़काव से मच्छर दूर भागेंगे. इसके प्रभाव से मच्छर मरते और अपंग भी होते हैं.
पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भी यह अनुकूल है. जावा सिट्रोनेला की खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग ने योजना बनायी है. इसके लिए किसानों को 90 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में दी जायेगी.
लेमन ग्रास प्रजाति का पौधा
जावा सिट्रोनेला लेमन ग्रास की प्रजाति का पौधा है. इसमें तीखे नींबू जैसे गंध से मच्छर दूर भागते हैं. इससे दूसरे हानिकारक कीट से भी सुरक्षा मिलती है. इसके एसेंस ऑयल (अर्क) को सादे कागज पर लगा कर कमरे में लटका देने व एक ग्राम अर्क से कमरे में पोछा लगाने से भी मच्छर भाग जाते हैं.
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट, लखनऊ (सीआइएमएपी) ने व्यापक शोध कर मच्छर व उड़नेवाले हानिकर कीट से निजात दिलाने में जावा सिट्रोनेला को कारगर बताया है.
90 प्रतिशत मिलेगा अनुदान
जावा सिट्रोनेला की प्रति हेक्टेयर खेती में 25 हजार रुपये खर्च होते हैं. किसानों को 22500 रुपये (90 प्रतिशत) सरकार अनुदान अनुदान देगी. जाड़ा को छोड़ कर गरमी व बरसात में इसके पौधे लगाये जा सकते हैं. एक बार इसे लगाने के बाद दो–तीन वर्षो तक इसकी कटिंग की जा सकती है. नये पौधे लगाने के बाद पहली कटिंग पांच माह और दूसरी दो व तीन माह पर की जा सकती है.
जावा सिट्रोनेला की पत्ती से मशीन द्वारा तेल निकाला जाता है. प्रति किलो तेल की कीमत 1100 से 1400 रुपये प्रति किलो है. एक हेक्टेयर जावा सिट्रोनेला से 100-150 किलो अर्क प्राप्त हो जाता है. पिछले बजट सत्र में विधायकों और विधान पार्षदों में मच्छरों की समस्या को लेकर प्रश्न उठाया था.
इस मामले में कृषि विभाग के उद्यान निदेशालय ने राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा व बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर से मच्छर भगानेवाले पौधे के संबंध में सलाह मांगी गयी थी. बिहार कृषि विवि ने अनुशंसा की है कि जावा सिट्रोनेला के पौधे की खेती को बढ़ावा देकर मच्छरों की समस्या का समाधान हो सकता है.