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बिहार में धान बुआई का रकबा 4.32 लाख हेक्टेयर घटा, किसानों की आय में एक खरब का नुकसान संभव

मौसम की बिगड़ी चाल के कारण इस खरीफ में 2020 के मुकाबले चार लाख 32 हजार 295 हेक्टेयर रकबा घट गया है. इस कारण धान उत्पादन 53 लाख टन कम होने के हालत बन गये हैं. यानी धान का उत्पादन लक्ष्य के मुकाबले 50% भी पैदा होता नहीं दिख रहा है.

पटना. मौसम की बिगड़ी चाल के कारण इस खरीफ में 2020 के मुकाबले चार लाख 32 हजार 295 हेक्टेयर रकबा घट गया है. इस कारण धान उत्पादन 53 लाख टन कम होने के हालत बन गये हैं. यानी धान का उत्पादन लक्ष्य के मुकाबले 50% भी पैदा होता नहीं दिख रहा है. वर्तमान हालातों में आने वाले दिनों में बिहार धान उत्पादन में अपनी आत्मनिर्भरता खो सकता है. बिहार में धान भंडारण का संकट पैदा हो सकता है. किसानों की आय में गिरावट तो सीधे दिख रही है.

मात्र 38% धान की फसल लग सकी

2020 में 18 जुलाई तक 17,58,605 हेक्टेयर में धान का आच्छादन हो चुका था. 2022 में जुलाई तक 35,12,023 हेक्टेयर का टारगेट रखा गया था. राेपाई मात्र 13,26,310 हेक्टेयर में हुई है. यानी 27 जुलाई तक मात्र 38% धान की फसल लग सकी है. 2021 में यह आंकड़ा 41.33% था. आर्थिक सर्वे 2021- 22 के अनुसार एक हेक्टेयर में 2447 किलाग्राम धान की पैदावार हो रही है.

बारिश 222.3 मिमी के मुकाबले मात्र 162.7 मिमी हुई

इस हिसाब से कृषिविभाग ने 85 लाख 93 हजार 920.281 टन की पैदावार का लक्ष्य सभी जिलों को दिया था. अभी तक हुई रोपाई के आंकड़े को आधार मानें तो 32 लाख 45 हजार 480.35 टन धान पैदा होने का अनुमान है, जो कि लक्ष्य से 53 लाख 48 हजार 439.711 टन कम है. जुलाई 2021 में 27% कम बारिश हुई थी. सामान्य रुप से 222.3 मिमी के मुकाबले मात्र 162.7 मिमी हुई थी.

97% बिचड़ा तैयार, वर्षा की पूरी उम्मीद : निदेशक

धान की रोपाई भले ही अभी तक 38% हुई है, लेकिन कृषिविभाग को उम्मीद है कि तीन से चार दिन में हालात सुधर सकते हैं. कृषिनिदेशक डॉ आदित्य प्रकाश ने प्रभात खबर को बताया कि धान उत्पादन का संकट कहना जल्दबाजी होगी. बिहार में 351202 हेक्टेयर में बिचड़ा का लक्ष्य था. 340290 हेक्टयर में यह तैयार है. 97% बिचड़ा तैयार होने और दो से तीन दिनों में बारिश की पूरी उम्मीद है. यह स्थिति अभी उम्मीद बनाये रख रही है.

सबसे अधिक रोपनी वाले जिले

  • शिवहर 78 %

  • पूर्णिया 77.6 %

  • प चंपारण 71.6 %

  • सहरसा 71.5 %

  • पूर्वी चंपारण 69.4 %

सबसे कम रोपनी वाले जिले

  • जमुई 1.6 %

  • नवादा 3.3 %

  • मुंगेर 3.9 %

  • गया 6.1 %

  • औरंगाबाद 6.4%

  • लखीसराय 6.7 %

  • नालंदा 12.8 %

धान : ~1.09 खरब का घाटा

मौसम का मिजाज यही रहा तो धान के उत्पादन में 53 लाख 48 हजार 439.711 टन की जो कमी दिख रही है उसका आर्थिक मूल्य देखें तो करीब 1.09 खरब रुपये है. सरकार ने एमएसपी फसल वर्ष 2022-23 के लिए धान की सामान्य किस्म का समर्थन मूल्य 1,940 रुपये से बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है.

ए’ ग्रेड किस्म का समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है

ए’ ग्रेड किस्म का समर्थन मूल्य 1,960 रुपये से बढ़ाकर 2,060 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. यानि 53 लाख 48 हजार 439.711 टन धान को सामान्य किस्म का भी मान लें तो इसका एमएसपी एक खरब 09 अरब 10 करोड़ 81 लाख 70 हजार 104.4 रुपये बनता है.

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