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बिहार के इस शहर में नहीं है एक भी पब्लिक टॉयलेट, नगर पंचायत से हो चुका है नगर परिषद में अपग्रेड

टॉयलेट नहीं होने की वजह से लोग जरूरत होने पर सड़क किनारे जगह तलाशते हैं और जहां कहीं दीवारों का कोना मिलता है, उसे गंदा करने से नही चूकते हैं. इससे ना केवल ऐसे येलो स्पॉट के आसपास दुर्गंध फैलता है, बल्कि नगर की छवि भी खराब होती है.

सिमरी बख्तियारपुर. स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार की ओर से कई तरह की पहल की जा रही है. इस पर अच्छी खासी रकम भी खर्च हो रही है. ताकि नगर के लोगो को खुले में शौच से मुक्ति मिल सके. लेकिन लगभग पचास हजार की जनसंख्या वाले नगर परिषद में एक भी पब्लिक टॉयलेट नहीं है तो ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है नगर को भला कैसे साफ और सुंदर बनाया जा सकता है. इसके लिए विशेष प्रयास करने की जरूरत है ताकि कम – से – कम मुख्य बाजार आने वाले लोगो को परेशानी का सामना ना करना पड़े.

इंतहा हो गई इंतजार की..

सिमरी बख्तियारपुर नगर पंचायत को नगर परिषद में अपग्रेड हुए लगभग दो वर्ष हो चुके हैं. लेकिन अब तक नप क्षेत्र में एक भी पब्लिक टॉयलेट नहीं बन सका. बोर्ड की बैठकों में हर बार पब्लिक टॉयलेट बनाने की चर्चा हुई. लेकिन यह मुद्दा जमीनी हकीकत में तब्दील नहीं हो पाया. स्थिति ऐसी है कि नगर परिषद बनने के बाद शहर की सूरत तेजी से बदल रही है. मॉल संस्कृति विकसित हुई पर जनसुविधाओं का घोर अभाव आज भी बना है. शहर के अति व्यस्त एरिया में शामिल मुख्य बाजार, गुदरी हाट आदि शामिल है. ये इलाके सबसे भीड़भाड़ वाले हैं. जिस कारण शहर के लोगों ने जरूरत के हिसाब से टॉयलेट और यूरिनल बनवाने की मांग की है. वहीं नप के जिम्मेवार इस काम में सबसे बड़ी बाधा जमीन की कमी बता रहे हैं. व्यस्त बाजार में ऐसी जगह नहीं मिल रही है, जहां पब्लिक यूरिनल बनाया जाये.

दीवार गंदा कर रहे हैं लोग

टॉयलेट नहीं होने की वजह से लोग जरूरत होने पर सड़क किनारे जगह तलाशते हैं और जहां कहीं दीवारों का कोना मिलता है, उसे गंदा करने से नही चूकते हैं. इससे ना केवल ऐसे येलो स्पॉट के आसपास दुर्गंध फैलता है, बल्कि नगर की छवि भी खराब होती है. इसके अलावे जब कोने का भी जुगाड़ नहीं होता है तो सिमरी बख्तियारपुर स्टेशन की ओर दौड़ लगाते हैं. जहां स्टेशन परिसर पर स्थित यूरिनल में मूत्र त्याग करते है. यहां भी रखरखाव ना होने और प्रॉपर मॉनीटरिंग नहीं होने के कारण गंदगी की उपस्थिति ज्यादा रहती है. सबसे ज्यादा दिक्क़त पर्व – त्योहारों में होती है. दुर्गा पूजा, जन्माष्टमी जैसे पर्व में गांव से आने वाले लोगों को खासी दिक्क़तों से गुजरना पड़ता है.

नगर में पिंक टॉयलेट भी नहीं

नगर परिषद क्षेत्र में पिंक टॉयलेट की सबसे ज्यादा जरूरत है. पिंक टॉयलेट नहीं होने के कारण घर से बाहर निकलने के बाद महिलाओं को जब जरूरत महसूस होती है तो वे बहुत परेशानी में पड़ जाती है. क्योंकि उन्हें ढूंढने पर भी आसपास टॉयलेट नहीं मिलता. पुरुष तो जहां तहां दीवार गंदा कर काम निकाल लेते हैं. लेकिन महिलाओं को अपनी जरूरत को बलपूर्वक दबाना पड़ता है. वहीं ज्यादा परेशानी होने पर किसी के घर का दरवाजा खटखटाना पड़ता है.

बीमार और बुजुर्ग को होती है परेशानी ज्यादा

नगर में टॉयलेट और पिंक टॉयलेट ना होने के कारण सबसे बड़ी परेशानी बीमार और बुजुर्ग लोगो को होती है. डायबिटीज के मरीजों को ना केवल जल्द टॉयलेट महसूस होती है, बल्कि उसे दबाना भी उनके लिए मुश्किल होती है. डॉक्टरों का भी कहना है कि ज्यादा देर तक यूरिन रोकना गलत हो सकता है. इसलिए नगर परिषद के अधिकारियो को जल्द से जल्द इस मुद्दे पर विचार करने की आवश्यकता है.

Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने के लिए प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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