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खुलासा. जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों का कारनामा पत्थर एजेंसी को दे दिये 92 लाख

मुजफ्फरपुर: जल संसाधन विभाग अवैध पत्थर एजेंसी व संवेदक पर मेहरबान है. विभाग के अधिकारियों ने पत्थर के खरीदारी पर 92 लाख रुपये लुटाये हैं. विभाग के अभियंताओं ने संवेदक से बिना जरू रत ही पत्थर की खरीदारी करवायी. पत्थर की खरीदारी उन जहगों से की गयी, जिन्हें अवैध खनन के आरोप में प्रतिबंधित किया […]

मुजफ्फरपुर: जल संसाधन विभाग अवैध पत्थर एजेंसी व संवेदक पर मेहरबान है. विभाग के अधिकारियों ने पत्थर के खरीदारी पर 92 लाख रुपये लुटाये हैं.

विभाग के अभियंताओं ने संवेदक से बिना जरू रत ही पत्थर की खरीदारी करवायी. पत्थर की खरीदारी उन जहगों से की गयी, जिन्हें अवैध खनन के आरोप में प्रतिबंधित किया जा चुका था. शेखपुर के जिला खनन पदाधिकारी ने भी अवैध खनन करने वाली कंपनी व संवेदकों को साथ दिया. पत्थर के बिल के साथ पूरी रिपोर्ट दी गयी, लेकिन जिला खनन पदाधिकारी ने बाद में निरीक्षण कर बिल भुगतान के लिए गलत कागज बना डाला. यह खुलासा 2012 की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है.

आरटीआइ से मिली जानकारी के मुताबिक, ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि एग्रीमेंट के अनुसार सामान की आपूर्ति हुई, इसमें भी भारी अनियमितता है. सेंट्रल गोदाम की रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2012 में 3434.06 क्यूबिक मीटर पत्थर गोदाम में उपलब्ध था. इसके बाद भी बाहर से पत्थर की खरीदारी हुई. बिना आवश्यकता के पत्थर की आपूर्ति की गई है. गोलमाल के बाद ऑडिट ने विभाग से स्पष्टीकरण मांगा.

ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता ने 30 मार्च को एक करोड़ 22 लाख रुपये से पांच हजार क्यूबिक मीटर पत्थर खरीदने की तकनीकी स्वीकृति दी थी. इस्टीमेट दर से 7.27 प्रतिशत कम दर पर दीप शिखा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को एक करोड़ 13 लाख रुपये में काम पूरा करने के लिए एग्रीमेंट किया गया. एग्रीमेंट 27 अप्रैल 2011 को किया गया था.

एजेंसी के साथ जो एग्रीमेंट सात मई 2011 को कार्यपालक अभियंता जलपथ ने किया था, उसे 31 मई 2011 को पूरा कराया गया.

एजेंसी ने केवल 4602.216 क्यूबिक मीटर बोल्डर (पत्थर) की आपूर्ति की. जबकि इसे पांच हजार क्यूबिक मीटर बोल्डर आपूर्ति करनी थी. एजेंसी को एक करोड़ चार लाख रुपये सभी स्टोन बोल्डर का बिल भुगतान किया गया था.

ऑडिट में कागजातों की गहन जांच की गयी, पाया कि यहां बिहार खनन व खनिज रियायत अधिनियम 1972 की धारा 40(10) के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है. विभाग का आदेश था कि स्टोन बोल्डर शेखपुरा खदान से लाना था. संवदेक ने 4602.216 क्यूबिक मीटर पत्थर आपूर्ति की, लेकिन पत्थर आपूर्ति के साथ एजेंसी ने सही बिल नहीं सौंपा. यहां सरकारी प्रावधानों का खुलमखुल्ला उल्लंघन किया गया.

संवेदक ने ऐसे एजेंसी से पत्थर की खरीदारी की, जिसे सरकार ने अवैध खनन के आरोप में उसके कार्य पर रोक लगा दी थी. कॉन्ट्रैक्टर ने खनिज आपूर्ति बिल के साथ विभाग के फॉर्म (एम एंड एन) रिपोर्ट दी, लेकिन जिला खनन पदाधिकारी ने बाद में सत्यापन के बाद फॉर्म एन में तैयार कर कॉन्ट्रैक्टर्स का बिल भुगतान के लिए पास किया. ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि बिना सत्यापन के स्टोन बोल्डर आपूर्ति पर एजेंसी को 92 लाख रुपये का भुगतान किया गया.

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