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गांधी शांति पुरस्कार के लिए मधेपुरा के बीवी प्रभाकर के नाम की अनुशंसा

मधेपुरा : जिले के मुरलीगंज प्रखंड से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करनेवाले बीवी प्रभाकर को गांधी शांति पुरस्कार व टैगोर राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नाम विधान परिषद के उप सभापति हारूण रसीद ने केंद्रीय मंत्री को अनुशंसा भेजी है. यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष सामाजिक कार्य करनेवाले व्यक्ति को दी जाती है. इसमें वर्ष 2018 […]

मधेपुरा : जिले के मुरलीगंज प्रखंड से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करनेवाले बीवी प्रभाकर को गांधी शांति पुरस्कार व टैगोर राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नाम विधान परिषद के उप सभापति हारूण रसीद ने केंद्रीय मंत्री को अनुशंसा भेजी है. यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष सामाजिक कार्य करनेवाले व्यक्ति को दी जाती है. इसमें वर्ष 2018 के लिए डॉ बीवी प्रभाकर का नाम की अनुशंसा की गयी है.

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मुरलीगंज के प्रखंड क्षेत्र के सीमावर्ती गांव चतरा निवासी स्वर्गीय मनोरंजन प्रसाद व गीता देवी के इकलौते पुत्र बीवी प्रभाकर ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जेपी आंदोलन के समय ही कर दी थी. बचपन की पढ़ाई गांव में पूरी करने उपरांत मुरलीगंज के बीएल स्कूल में छात्र रह चुके प्रभाकर की आगे की पढ़ाई केपी महाविद्यालय में पूरी हुई. छात्र नेता आमोद यादव ने कहा है कि प्रभाकर जी को इस राष्ट्रीय सम्मान के लिए चयन होना यह जिले के सम्मान है. अभिषेक आनंद ने कहा कि डॉ बीवी प्रभाकर का इस राष्ट्रीय सम्मान के लिए नाम चयन होना मुरलीगंज मधेपुरा ही नहीं बल्कि पूरे कोसी और बिहार के लिए गर्व की बात है.

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मालूम हो कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर वर्ष 1995 में उनकी 125वीं जयंती पर शुरू किया गया सालाना ‘गांधी शांति पुरस्कार’ पिछले चार साल से नहीं दिया गया है. पिछली बार यह सम्मान वर्ष 2014 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को दिया गया था. यह पुरस्कार उन व्यक्तियों या संस्थाओं को दिया जाता है जिन्होंने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बदलावों के लिए अहिंसा और अन्य गांधीवादी तरीकों द्वारा योगदान किया है. इस पुरस्कार में एक करोड़ रुपये नकद और प्रशस्तिपत्र दिया जाता है. पुरस्कार विजेता का फैसला एक ज्यूरी द्वारा किया जाता है, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता, प्रधान न्यायाधीश और दो अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल होते हैं.

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