16 अगस्त को देर रात्रि सिंह नक्षत्र में पिंडी पर स्थापित किया गया प्रतिमा परबत्ता. प्रखंड अंतर्गत कोलवारा गांव में अंग प्रदेश की लोकगाथा पर आधारित बिहुला विषहरी पूजा को लेकर उत्साह का माहौल देखा जा रहा है. कोलवारा पंचायत के वार्ड नंबर 18 में स्थापित विषहरी मंदिर इलाके में चर्चित है. हर वर्ष बाला बिहुला विषहरी पूजा के अवसर पर काफी संख्या में लोग उपस्थित होते हैं. ग्रामीण अनरुद्ध दास, सुदीन दास, जयप्रकाश दास, सीताराम दास, मुन्नी लाल दास, मनीष कुमार, ज्ञानी दास आदि ने बताया कि विगत छह दशकों से बाला बिहुला विषहरी की पूजा श्रद्धा भक्ति से मनाते आ रहे हैं. इस पूजन के साथ साथ रात्रि में सभी उम्र व वर्ग के स्थानीय कलाकार बाला बिहुला विषहरी पर आधारित कथा पर नृत्य के साथ साथ झांकी का मंचन किया जाता है. इस परंपरा को स्थानीय लोग अनवरत निभाते आ रहे हैं. यहां ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर का निर्माण किया गया है तथा प्रत्येक वर्ष श्रद्धा भक्ति के साथ हर्षोल्लास के साथ बाला बिहुला विषहरी पूजन किया जाता है. विषहरी पूजा समिति कोलवारा के सदस्य पूजा एवं मेला को लेकर काफी सक्रिय हैं. भागलपुर के मूर्तिकार बनाये हैं प्रतिमा बिषहरी मंदिर कोलवारा में 16 अगस्त की देर रात प्रतिमा को स्थापित किया गया।मूर्तिकार भागलपुर अमरी विशनपुर निवासी छीतन दास देवी की प्रतिमा को अंतिम रूप दिया है।ग्रामीणों की मानें तो विषहरी पांच बहन जया विषहरी,पदुम कुमारी,दोतिला भवानी,मैना विषहरी,देवी विषहरी,सती बिहुला,बाला लखेंद्र,चंद्रधर सौदागर आदि की प्रतिमा प्रत्येक साल बनाई जाती है. इस पूजन में खगड़िया जिले ही नहीं अन्य जिलों से भक्त जन यहां पहुंचते हैं. हर साल एक ही तिथि को होती है बिहुला विषहरी पूजा ग्रामीण अनरूद्ध दास,संजय कुमार ने बताया कि हर साल एक ही तिथि 16 अगस्त की देर रात्रि विषहरी व सती बिहुला की पूजा प्रारंभ होती है. मध्य रात्रि में सिंह नक्षत्र का प्रवेश होता है तथा पिंडी पर प्रतिमा स्थापित किया जाता है. 17- 18 अगस्त को हरेक साल लोग डलिया चढ़ाने के साथ दूध व लावा का भोग लगाते हैं.
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