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सती चरित्र व शिव विवाह का वर्णन सुनकर भाव विभोर हुए श्रद्धालु

शास्त्री ने कहा कि मनुष्य जीवन बार-बार नहीं मिलता है

मानसी. प्रखंड के सैदपुर गांव में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन बुधवार को लखनऊ अयोध्या आश्रम से पधारे भागवत कथा वाचिका कल्पना मधुर शास्त्री ने सती चरित्र, सृष्टि की रचना व शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि सती ने अपने पिता दक्ष की इच्छा के विरुद्ध भगवान शिव से विवाह किया. जिससे दक्ष प्रसन्न नहीं थे. सती ने अपने पति का अपमान सहन न करते हुए यज्ञ कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिये. जिसके बाद शिव ने दक्ष का सिर काटकर सती के वियोग में तांडव नृत्य किया. शिवपुराण में भगवान शिव और सती के वारे में कथा वाचिका कल्पना मधुर शास्त्री ने उपस्थित कथा श्रवण कर रहे श्रद्धालु को बताया देवी सती के पिता, प्रजापति दक्ष, भगवान शिव को पसंद नहीं करते थे. शुरुआत में वे अपनी बेटी का विवाह शिव से नहीं करना चाहते थे. लेकिन सती के बहुत समझाने और हठ कर बैठने के कारण उन्होंने सती का विवाह शिव से कराया दिया. शास्त्री ने कहा कि मनुष्य जीवन बार-बार नहीं मिलता है. इसलिए इस कलयुग में दया धर्म, भगवान के स्मरण से ही सारी योनियों को भवपार करता है. मनुष्य जीवन का महत्व समझाते हुए कहा कि भगवान की भक्ति में अधिक से अधिक समय देना चाहिए. कथा श्रवण करने से जन्म जन्मांतर का पाप कट जाता है. जीवन में विश्वास के साथ किये गए कार्य में सफलता निश्चित तौर पर मिलती है. मौके पर सैकड़ों की संख्या में महिलाएं एवं पुरुष श्रद्धालु मौजूद थे.

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