खगडि़या/परबत्ता : प्रखंड में शारदीय नवरात्र को लेकर विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना शुरू हो चुकी है. सुबह से लेकर शाम तक वैदिक मंत्रोच्चार से दिशाएं गुंजायमान है. वातावरण भक्तिमय हो गया है.
मंदिरों तथा पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं की भीड़ बढती जा रही है. आज सुबह नौ बजे से बिशौनी मंदिर में परंपरागत श्रद्धा के साथ कुंवारी कन्या का पूजन होगा. इस पूजा का विशेष महत्व है जो यहां वर्षों से चली आ रही है.कन्या पूजन का महत्वशारदीय नवरात्र में कुंवारी कन्या पूजन का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा ने कुंवारी कन्या के रुप में ही अवतार लिया था. जो सर्वशक्तिमान है.
शास्त्रों में वर्णित है कि ब्रह्मा,विष्णु तथा महेश ने भी देवी की इस उपासना को स्वीकारा है. भगवान शिव स्वयं कहते हैं कि शक्ति के बिना शिव शव के समान है. ऐसा माना जाता है कि नवरात्र में जो भक्तगण मां के साथ साथ प्रतिदिन कन्या पूजन कर उन्हें भोग लगवाता है उनकी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है.
शारदीय नवरात्र में कुंवारी कन्या पूजा करने तथा भोजन ग्रहण कराने से भक्तों को विशेष आशीर्वाद मिलता है. कहते हैं पंडित चतुर्भुज दुर्गा मंदिर बिशौनी में विगत 25 वर्षों से पूजा के माध्यम से मां की सेवा करते आ रहे पंडित प्राणमोहन कुंवर बताते हैं कि आठ वर्ष से कम उम्र की कुंवारी कन्या को भगवती के रूप में पूजा जाता है.
मां भगवती की कृपा उनके उपर विराजमान रहती है. नौवीं पूजा को दर्जनों कुंवारी कन्याओं की पूजा मां भगवती के सामने होती है. भक्तजन अपनी चिन्हित कन्याओं को नये वस्त्रों तथा श्रृंगार से सुशोभित कर मंदिर में लेकर आते हैं. मंदिर में इन कन्याओं को कतार में बिठाकर उनके पैरों पर फूल और जल चढाकर उनकी पूजा की जाती है. खोईछा भरने की है परंपरा कुंवारी कन्या के माथे पर सिंदूर का टीका लगाकर खोईछा भरने की विशेष परंपरा है. इसमें मिष्टान एवं द्रव्य दिये जाते हैं.
इस पूजन के माध्यम से भक्तगण कुंवारी कन्या के रुप में भगवती को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं. हंसती है कन्याएंकुंवारी कन्या पूजन के अंतिम क्षणों में उपस्थित महिला पुरुष भक्तजन हाथ जोड़कर कुंवारी कन्या से हंसने को विनती करते हैं. दुर्गा रूपी कुंवारी कन्या भक्तों की विनती को स्वीकार कर हंस पड़ती हैं. वहां उपस्थित दो दर्जन से अधिक कुंवारी कन्याओं की हंसी से मंदिर परिसर और भी भक्तिमय हो जाता है. इन कन्याओं से आशीर्वाद लेने की होड़ सी लग जाती है.
छोटी छोटी बच्चियों के द्वारा बुजुर्गों के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देते देखना एक अविस्मरणीय प्रसंग के रुप में समृति में समाती है. प्रत्येक व्यक्ति आशीष लेकर ही घर लौटते हैं. यहां नवरात्र के दौरान प्रत्येक घर में दसों दिन कन्या भोजन तथा ब्राह्मण भोजन कराया जाता है. बिशौनी में कुंवारी कन्या पूजन की यह समृद्ध परंपरा की चर्चा दूर दूर तक है जिसे देखने लोग आते हैं.

