8.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

अब वृहद आश्रय गृह के बच्चे व कर्मी सीखेंगे मशरूम की खेती करना

अब वृहद आश्रय गृह के बच्चे व कर्मी सीखेंगे मशरूम की खेती करना

– जिला बाल संरक्षण इकाई ने कृषि पदाधिकारी को लिखा पत्र – 150 बालिका, 50 बालक और 40 कर्मी मशरूम प्रशिक्षण में लेंगे भाग – जिला कृषि पदाधिकारी ने प्रशिक्षण को दिया आश्वासन कटिहार बहुत कम जगह व कम पूंजी में मशरूम की खेती जिले में आसानी से की जा सकती है. कटिहार जिले में ऑयस्टर व बटन मशरूम की खेती के लिए तापमान बेहतर है. डिमांड की वजह से अच्छी कीमत मिल जाने से आमदनी बेहतर हो सकती है. इसे नकारा नहीं जा सकता है. अब वृहद आश्रय गृह के बच्चे व कर्मियों को भी मशरूम की खेती करने का प्रशिक्षण दिया जायेगा. जिला बाल संरक्षण इकाई कटिहार के सहायक निदेशक रविशंकर तिवारी ने छह सितम्बर को जिला कृषि पदाधिकारी को प्रशिक्षण दिलाने को पत्र लिखा है. वृहद आश्रय गृह, कटिहार में आवासित बच्चों व कार्यरत कमियों को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिलाये जाने के संबंध में बताया है कि वृहद आश्रय गृह कटिहार में बाल गृह व बालिका गृह संचालित है. जहां औसतन 150 बालिकाओं एवं 50 बालकों का आवासन होता है. बालक, बालिकाओं के देखरेख के लिए 40 कर्मी कार्यरत हैं. आवासित बालक, बालिकाओं एवं कार्यरत कमियों को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिया जाना है. इधर जिला कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक पंकज कुमार की माने तो यह कदम सराहनीय है. मशरूम की खेती को लेकर बताया कि यह बहुत कम और कम पूंजी में शुरू किया जा सकता है. कटिहार जिला में आसानी से इसकी खेती हो सकती है. खासकर ऑयस्टर मशरूम, बटन मशरूम के लिए जिले का तापमान उपयुक्त है. 25 से 30 दिनों में हो जाता है मशरूम तैयार मशरूम पच्चीस से तीस दिनों में तैयार हो जाता है. अभी से लेकर मार्च तक सही समय है. बटन मशरूम को उगाने के लिए तापमान 16 से 20 डिग्री सेंटीग्रेड चाहिए. ओएस्टर के लिए बीस से तीस डिग्री सेंटीग्रेड चाहिए. 70 से 85 प्रतिशत तक नमी की आवश्यकता होती है. जो तापमान जिले में अक्तूबर से मार्च तक रहता है. मशरूम उगाने के लिए स्पॉन की जरूरत होती है. कृषि विज्ञान केन्द्र से ले सकते हैं. इसके लिए माध्यम की जरूरत पड़ती है. गेहूं, धान की पुआल का भूसा या मक्का के डंटल का भूसा हो सकता है. अंधेरे कमरे में रखे जाने का है प्रावधान मशरूम की खेती के लिए दो केमिकल की जरूरत होती है. जिसमें फॉरमिलिन मुख्य है. इसके साथ भूसा को आठ से दस घंटे पानी में भिंगो कर रख पानी छान कर एक दो घंटे तक छायां में सूखाना पड़ता है. इससे पानी भूसा से निकल जायेगा. पॉलिथीन बैग लेकर स्टैंर्ड साइज तीस गुणा चालीस का लिया जाता है. भूसा को छान कर रखेंगे और किनारे किनारे बीज को डाल देंगे. बैग को अंधेरा कमरे में रख दिया जाता है. पन्द्रह से बीस दिन बाद धागेनूमा संरचना पूरे भूसा में फैल जाता है. पूरा फैल जाने से भूसा के जकड़ जाने पर पॉलिथीन हटा सकते हैं. आठ से दस दिन बाद छोटा छोटा प्वाइंट दिखने लगता है. चार दिन बाद तोड़ने लायक हो जाता है. सब कुछ ठीक ठाक रहने पर पच्चीस से तीस दिन में मशुरूम तैयार हो जाता है. जल्द दिया जायेगा मशरूम की खेती को प्रशिक्षण जिला बाल संरक्षण इकाई की ओर से आवासित बच्चों व कार्यरत कर्मियों को मशरूम की खेती को प्रशिक्षण के लिए पत्र निर्गत किया गया है. बहुत जल्द इन आवासित बच्चों व कर्मियों को इसको लेकर प्रशिक्षण दिया जायेगा. मिथिलेश कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel