अमदाबाद प्रखंड में गंगा नदी के जलस्तर बढ़ने से दुबारा बाढ़ उत्पन्न हो गई है. पिछले करीब एक सप्ताह से लगातार गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि हो रही थी. प्रखंड मुख्यालय से दुर्गापुर, चौकिया पहाड़पुर, भवानीपुर खट्टी तीन पंचायतों को जोड़ने वाली मुख्य सड़क पर करीब तीन फीट पानी बह रहा है. गंगा नदी के जलस्तर बढ़ने से कई गांव में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. लोगों को दुबारा बाढ़ का दंश झेलना पड़ रहा है. यहां के लोग करीब डेढ़ माह से बाढ़ का दंश झेल रहे हैं. लोगों की दयनीय हालत काफी बिगड़ गई है. मजदूर तबके के लोगों को मजदूरी मिलना बंद हो गया है. घर आंगन में पानी रहने के कारण कई परिवार ऊंचे स्थलों पर शरण लिए हुए हैं. प्रखंड के जलेबी टोला मेघु टोला, कीर्ति टोला, युसूफ टोला सहित कई गांव बाढ़ के चपेट में है. जलेबी टोला गांव के लोग सड़क पर करीब 45 दिनों से समय गुजर रहे हैं. बाढ़ पीड़ित अशोक चौधरी, सुग्रीव चौधरी, सिंहासन सिंह इत्यादि लोगों ने बताया कि बाढ़ का कहर तीसरी बार झेल रहे हैं. गंगा नदी के जलस्तर बढ़ने के साथ ही सबसे पहले जलेबी टोला गांव प्रभावित हो जाता है. डेढ़ माह से सड़क के किनारे पॉलिथीन का तंबू लगाकर समय गुजर रहे हैं. साथ ही रुखा सुखा खाकर रात गुजारना पड़ता है. शुद्ध पेयजल की घोर समस्याएं हैं. बच्चे संक्रमित रोग से ग्रस्त हो रहे हैं. आगे बताया कि इससे पूर्व आई भीषण बाढ़ में करीब एक सप्ताह प्रशासन की ओर से सामुदायिक रसोई का संचालन किया था. उसके बाद बंद कर दिया है. आज भी बच्चे दर-दर भटक रहे हैं. कुल मिलाकर अमदाबाद प्रखंड में अभी भी बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. जिस वजह से लोग भयकांत है. उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि बाढ़ से कैसे निपटा जाय. वहीं प्रशासन की ओर से जीआर की राशि उपलब्ध कराई गई है. लेकिन करीब हजारों परिवारों को आज भी जीआर की राशि नहीं मिली है. जिस वजह से उन लोगों के समक्ष कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो गई है. सड़कों पर जल जमाव एवं कई ग्रामीण सड़क जलमग्न होने के कारण लोग नाव से आवागमन करते हैं. साथ ही छोटी नाव से भी लोग आते जाते हैं. जो बड़ी दुर्घटना का भी आशंका बनी रहती है. प्रखंड में दुबारा आई बाढ़ ने लोगों को कमर तोड़ दिया है. साथी जीना मुहाल कर दिया है. वहीं किसानों का भी दयनीय हालत हो गई है. किसानों का कई फैसले बाढ़ के पानी में डूब कर नष्ट हो गया है. और देर तक बाढ़ का पानी रहने के कारण आगामी फसल के लिए ठीक नहीं है. किसान रामदास सिंह, रामाधार सिंह, विजय कुमार, अमल सिंह, प्रमोद चौधरी इत्यादि लोगों ने बताया कि बाढ़ का पानी समय से नहीं गया तो समय पर रबी फसल की बुवाई नहीं हो पाएगा. रबी फसल की बुवाई नहीं हुई तो काफी दिक्कत होगी. उन्होंने बताया कि बाढ़ बरसात के समय में भदई फसल के रूप में पटसन एवं मक्के की खेती की जाती है. साथ ही धान भी लगाया जाता है. लेकिन बाढ़ ने सभी फसलों को क्षति पहुंचाई है. वहीं धान की फसल तो पूर्ण रूप से डूब कर नष्ट हो गई है. गांव के लोग आवागमन की समस्याओं से जूझ रहे हैं.
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