– चैम्बर ऑफ कॉमर्स ने केन्द्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिखकर दिया सुझाव कटिहार नॉर्थ ईस्टर्न बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के महासचिव भुवन अग्रवाल ने कहा, चैंबर अध्यक्ष सह विधान पार्षद अशोक अग्रवाल ने केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर मखाना को खाद्य वस्तुओं की श्रेणी में लाकर जीएसटी फ्री करने की मांग की है. वर्तमान में मखाना पर 5% जीएसटी है. हाल ही में 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक में अल्ट्रा-हाई टेम्परेचर दूध, छेना-पनीर तथा सभी भारतीय रोटियों पर जीएसटी पूरी तरह समाप्त किया गया है. चूंकि बिहार राज्य लगभग 90% मखाना उत्पादन करता है. यह एक स्वास्थ्यवर्धक सुपरफूड है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मखाना को शाही नास्ता घोषित कर चुके हैं. अतः इसे भी जरूरी खाद्य वस्तुओं की श्रेणी में लाकर जीएसटी शून्य किया जाना चाहिए. चैम्बर अध्यक्ष सह विधान पार्षद के निर्देश पर लिखे गए पत्र की जानकारी देते हुए चैम्बर महासचिव भुवन अग्रवाल ने कहा कि हाल-फिलहाल में टैक्स को लेकर भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं. जिसका व्यवसायी स्वागत करते हैं. व्यवसायियों के हित में लिए गए निर्णयों के वाबजूद करदाताओं को विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. कर के भुगतान में आने वाली विभिन्न समस्याओं और उसके समाधान से सम्बंधित मांग पत्र में कहा गया है कि व्यापारियों को केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों द्वारा बार-बार अनधिकृत नोटिस भेजकर उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है. वर्तमान में जीएसटी ऑडिट में पांच वित्तीय वर्ष के लिए एक साथ नोटिस दिया जाता है. जिससे व्यवसायियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. छोटे कारोबारियों को एचएसएन कोड दर्ज करने से पूरी छूट दी जाय. व्यापारियों ने बताया है कि हजारों एचएसएन कोड होने से उन्हें हर बिक्री पर सही कोड चुनना मुश्किल हो गया है. इसलिए हम मांग करते हैं कि छोटे व्यापारियों को एचएसएन कोड दर्ज करने की पूरी छूट प्रदान की जाय. उन व्यापारियों को जिनकी बिलिंग राज्य-स्तरीय पोर्टल के माध्यम से होती है. उन्हें इनवॉइस नंबर दर्ज करने से छूट दी जाय. जीएसटी परिषद ने हाल में कोयले पर जीएसटी बढ़ाकर 18% कर दिया है. चूंकि कोयला मुख्यतः निर्माण कार्यों में उपयोग होता है. इसकी दर वृद्धि से आवश्यक वस्तुओं और निर्माण सामग्री के मूल्य बढ़ने का जोखिम है. इसलिए इसे पहले की तरह 5% ही रखना हितकर होगा. सभी उत्पादक सेक्टर को 40 लाख तक सालाना टर्न ओवर पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन से मुक्त रखा गया है. जबकि ईट भट्टों पर 20 लाख की सीमा तय है. इसको बढ़ाकर अन्य उत्पादक सेक्टरों के समकक्ष किया जाय. 1.5 करोड़ तक टर्न ओवर वाले लाल ईट निर्माता को कम्पोजीशन एवं 1.5 करोड़ से ज्यादा टर्न ओवर होने पर 5% टैक्स रेट इनपुट में रखा जाय. खाद्य लाइसेंस के लिए पंजीकरण प्रक्रिया अत्यंत कठिन और अपारदर्शी हो गई है. आवेदनों की स्थिति पर ठीक से नज़र नहीं रखी जा सकती. इसे सरल बनाया जाना चाहिए या एक निश्चित अवधि के भीतर स्वतः स्वीकृत किया जाना चाहिए. पत्र में सुझाव देते हुए कहा गया है कि विलंब शुल्क को टर्नओवर के आधार पर युक्तिसंगत बनाया जाना चाहिए. खाद्य लाइसेंस पंजीकरण की ट्रैकिंग सुविधा में सुधार किया जाना चाहिए. सरकार के लिए कार्य करने वाले ठेकेदार सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 10 के अंतर्गत कंपोजिशन स्कीम के लिए पात्र नहीं हैं. इससे अनुपालन का बोझ बढ़ जाता है. खासकर छोटे ठेकेदारों पर, जो इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं उठा सकते क्योंकि उनकी कार्यशील पूंजी अवरुद्ध है. पत्र में कहा गया है कि फेसलेस असेसमेंट का उद्देश्य सराहनीय है. लेकिन इसमें व्यावहारिक कठिनाई यह है कि ऑनलाइन जमा किए गए दस्तावेजों पर मूल्यांकन अधिकारियों द्वारा उचित रूप से विचार नहीं किया जा रहा है. फेसलेस मूल्यांकन को और अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए. इसके अलावा, छोटे करदाताओं के मामले में अपील दाखिल करने की जमा राशि को घटाकर 5% कर दिया जाना चाहिए. कुछ वर्षों के लिए ब्याज और जुर्माने में छूट/कमी के लिए जीएसटी एमनेस्टी योजनाएं शुरू की गई हैं. ब्याज और जुर्माने में छूट के लिए एमनेस्टी योजना को वित्त वर्ष 2020-21 तक बढ़ाया जाना चाहिए. धारा 74 के तहत मामलों का निपटारा मामूली जुर्माने के साथ कर के भुगतान पर किया जाना चाहिए. आयकर का भुगतान यूपीआई के माध्यम से संभव है. हालांकि, जीएसटी कर भुगतान के लिए यह विकल्प उपलब्ध नहीं है. मितेश डालमिया चार्टर्ड अकाउंटेंट, मनोज शाह अधिवक्ता, इंद्रजीत सिंह अधिवक्ता, कुमार एकलव्य टैक्स प्रैक्टिशनर, विमल सिंह बेगानी, अनिल चमरिया, गणेश चौरसिया ने कहा कि इस विकल्प को सक्षम करने से कर भुगतान आसान हो जायेगा. पत्र में कहा गया है कि व्यवसायियों द्वारा दिए गेट सुझावों से व्यापारियों पर लागू अनावश्यक अनुपालन बोझ कम होगा. इससे जीएसटी प्रणाली में व्यापारी वर्ग का विश्वास बढ़ेगा और कानूनी अनुपालन को प्रोत्साहन मिलेगा. व्यापारिक संचालन सुचारू और निर्बाध रूप से चल सकेगा. जिससे देश की अर्थ व्यवस्था को भी लाभ होगा. पत्र में सुझावों पर शीघ्र निर्णय लेते हुए व्यापारी वर्ग को राहत प्रदान करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने मांग की गयी है.
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