जहानाबाद : बच्चों के सुरक्षा को लेकर कई तरह के नियम-कानून बनाये गये हैं, लेकिन यह धरातल पर नहीं दिखता. ठंड के मौसम में भी कई निजी विद्यालय संचालक खुले बॉडी स्कूली वाहन से बच्चों को लाने व घर तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं. नियमों की अनदेखी कर आये दिन खटारा वाहनों से […]
जहानाबाद : बच्चों के सुरक्षा को लेकर कई तरह के नियम-कानून बनाये गये हैं, लेकिन यह धरातल पर नहीं दिखता. ठंड के मौसम में भी कई निजी विद्यालय संचालक खुले बॉडी स्कूली वाहन से बच्चों को लाने व घर तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं. नियमों की अनदेखी कर आये दिन खटारा वाहनों से छात्र-छात्राओं को ढोया जा रहा है.
इससे बच्चों का जीवन हमेशा खतरा में रहता है. नियम-कानून को ताक पर रख कर स्कूली संचालक वाहन चलाते हैं. कई स्कूल में ऐसे भी वाहन संचालित हैं जो परिवहन विभाग ने उसे बेकार घोषित कर दिया है. स्कूल के नाम पर सड़कों पर सरपट दौड़ रहे वाहन विभाग की भी नजरों से ओझल दिखता है. सड़क पर दौड़ रहे ऐसे जर्जर वाहन से निकले धुआं नौनिहालों के स्वास्थ्य को तो प्रभावित करता ही है. साथ ही वातावरण में जहर घोलने का काम करता है. विभाग भी इस दिशा में ठोस कार्रवाई करते नहीं दिख रहे है. जिले में पांच दर्जन से ऊपर निजी विद्यालय निबंधित है जिसमें सीबीएसइ से मान्यता प्राप्त विद्यालय को देखा जाय तो यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है.
परमिट तक नहीं लेते स्कूल के संचालक :जिले में परिवहन विभाग से स्कूली वाहन के नाम पर परमिट प्राप्त करने वाले लोगों की संख्या काफी कम है. विभाग से 40-50 की संख्या में स्कूली बसों के नाम पर निबंधन कराया गया है. सुविधा के नाम पर स्कूल संचालक अभिभावक से मोटी-मोटी रकम वसूलते हैं, लेकिन शायद ही कोई स्कूल संचालक समुचित सुविधा उपलब्ध कराते हैं. ऐसे कई वाहन हैं, जिसमें फर्स्ट एड की व्यवस्था नहीं रहती है. यह हाल तब है जब दो माह पहले परिवहन विभाग ने शिविर लगाकर स्कूली बसों का फीटनेस सर्टिफिकेट दिया था.
40-50 स्कूली वाहनों का ही है निबंधन
40-50 की संख्या में स्कूली वाहन निबंधित है. क्षमता से अधिक बैठाने वाले वाहनों के पकड़े जाने पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी. बेकार वाहन की जांच करने की दिशा में भी ठोस कदम उठाया जायेगा़
अर्चना कमारी, एमवीआई, जहानाबाद