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सरल होगी भूमि अधिकार की प्रक्रिया : व्यासजी

गया : सूबे में भूमि पर गरीबों, भूमिहीनों व दलितों को अधिकार मिले, जमीन पर वास कर रहे दलित बेदखल न हों, परचा व परवाना के लिए कार्यालयों का चक्कर न काटना पड़े. इसके लिए नयी भूमि नीति बनायी जायेगी. भूमि अधिकार की प्रक्रिया सरल बनाने की कवायद चल रही है. दलितों को निवास व […]

गया : सूबे में भूमि पर गरीबों, भूमिहीनों व दलितों को अधिकार मिले, जमीन पर वास कर रहे दलित बेदखल न हों, परचा व परवाना के लिए कार्यालयों का चक्कर न काटना पड़े. इसके लिए नयी भूमि नीति बनायी जायेगी. भूमि अधिकार की प्रक्रिया सरल बनाने की कवायद चल रही है.

दलितों को निवास व भूमि पर अधिकार को लेकर 18 जनवरी, 2014 को दलित अधिकार मंच, देशकाल सोसाइटी के साथ बैठक रखी गयी है. इसमें रोड मैप तैयार किया जायेगा. बैठक में गरीबों को भूमि दिलाने से संबंधित कई बिंदुओं पर चर्चा की जायेगी. ये बातें भूमि सुधार व राजस्व विभाग के प्रधान सचिव व्यासजी ने कहीं. वह रेनेसांस में शनिवार को बिहार में बासभूमि का अधिकार, स्थिति, मुद्दे व चुनौतियां विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि राजस्व कर्मचारी से लेकर जिला पदाधिकारी तक भूमि सुधार कानून की गाइडलाइन से पूरी तरह वाकिफ नहीं हैं. अफसोस की बात है कि वैसे अधिकारी को भी सीओ बनाया गया है, जिन्हें अपना काम व अधिकार पता नहीं है. यह एक जिम्मेवार पद है. गाइडलाइन को डेवलप करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि जागरूकता की बड़ी कमी है. प्रखंड मुख्यालयों में जागरूकता को लेकर फ्लैक्स बोर्ड लगवाये जायेंगे. लैंड रेकॉर्ड डिजीटल किये जा रहे हैं. 2015 तक भूमि पर कब्जे से संबंधित सभी काम पूरे कर लिये जायेंगे.

भूमि मुक्ति आंदोलन की धरती

इस मौके पर मुख्य अतिथि केंद्र सरकार के पूर्व सचिव प्रो केवी सक्सेना ने कहा कि गया पुराने समय से संघर्ष की धरती रही है. सहजानंद सरस्वती से लेकर बोधगया भूमि मुक्ति आंदोलन की गाथा इसके उदाहरण हैं.

भूमि पर गरीबों, भूमिहीनों व दलितों को न्याय का अधिकार मिले. हालांकि यह समस्या देशव्यापी है. पर, आंदोलनों की धरती रही गया से ही बासगीत आंदोलन की शुरुआत करनी होगी. एक वर्क फोर्स का गठन कर सरकार के कामकाज के साथ जोड़ कर काम करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा आजादी के बाद बिहार ही वह धरती है, जहां के भूमि अधिकार कानून देश के लिए मॉडल साबित हुआ. भूमि अधिकार कानून अच्छा है, पर इसका क्रियान्वयन लचर है. लोगों को अधिकार देना होगा, कानून बना देने मात्र से काम नहीं चलनेवाला है.

एक भी मामला नहीं रहेगा पेंडिंग

डीएम बाला मुरुगन डी ने कहा-’ गया की स्थापना के डेढ़ सौ साल तीन अक्तूबर, 2014 को पूरे होने जा रहे हैं. संकल्प के साथ कहता हूं कि गया में भूमि संबंधी एक भी केस पेंडिंग नहीं रह जायेगा.

सिविल सोसाइटी व प्रशासन मिल कर इस दिशा में काम करेंगे. उन्होंने कहा कि बेदखली की शिकायत वाले स्थान पर कार्रवाई हो रही है. सर्वे का काम जिले में दो चरणों में हुआ. पहले चरण में 16595 व दूसरे चरण में 539 परचाधारियों को दखल कब्जा दिलाया गया है.

इस मौके पर देशकाल सोसाइटी के सचिव संजय कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया. अतिथियों ने ‘बिहार में बासभूमि और आवास का अधिकार, स्थिति, मुद्दे व चुनौतियां’ नामक प्रकाशित किताब का विमोचन भी किया.

अस्तित्वहीन हैं बेघर लोग

इधर, कार्यशाला में बाराचट्टी की विधायक ज्योति देवी, नेशनल प्रोग्राम मैनेजर पैक्स, दिल्ली के राजपाल, प्रखंड ग्राम स्वराज सोसाइटी के बालेश्वर प्रसाद, ग्राम निर्माण केंद्र की पूर्व जिला पार्षद पुतुल कुमारी, देशकाल के उमेश मांझी व लोकशक्ति शिक्षण केंद्र, परैया के सचिव रामस्वरूप भाई ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये. कार्यशाला दो सत्रों में हुई. इसकी शुरुआत देशकाल सोसाइटी के सचिव संजय कुमार ने की. उन्होंने कहा कि

वजीरगंज, अतरी, परैया व मोहनपुर प्रखंडों में उनकी संस्था जमीन के मामलों पर काम कर रही है.

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