केसठ
. प्रखंड में रोहिणी नक्षत्र बीतने के बाद भी क्षेत्र के विभिन्न नहरों में पानी नहीं आ पाया है.जिसके कारण किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है. रोहिणी नक्षत्र में बिचड़े डालना धान की खेती के लिए महत्वपूर्ण होता है.पानी के अभाव में किसान बिचड़े नहीं डाल पा रहे हैं. ऐसी स्थिति में धान का कटोरा कहे जाने वाले क्षेत्र में धान की खेती के पिछड़ने की चिंता किसानों को सताने लगी है.समय से अगर धान के बिचड़े पड़ जाय तो समय से धान की रोपनी हो जायेगी. ऐसे में धान की पैदावार अच्छी होती है. रोहिणी नक्षत्र में किसानों को उम्मीद थी कि नहरों में पानी आयेगा.लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ.कभी आसमान में बादल छा जाते हैं. इसके बाद पुन: तेज धूप होने से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर जाता है. नहर में पानी नहीं आने की वजह से किसानों को अपने बिचड़े डालने के लिए पूरी तरह से पंप सेटों पर निर्भर रहना पड़ता है.किसान आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि यदि बारिश नहीं होती है तो धान की रोपनी के समय भी काफी परेशानियों को झेलना पड़ेगा.भीषण गर्मी में इन क्षेत्रों में भूजल स्तर भी काफी नीचे चला जाता है.जब नहर में पानी आ जाता है तो काफी राहत मिलती है.इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में घूमती जीवों को पीने का पानी भी उपलब्ध हो जाता है. पानी के आभाव में मवेशियों को पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है.डुमरांव राजवाहा समेत अन्य नहरों में रोहिणी नक्षत्र बीतने के बाद भी नहर में पानी नहीं आ सका है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है