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टिकट पर सस्पेंस से बढ़ी राजनीतिक बेचैनी

जिले में चुनावी आचार संहिता लागू हुए तीन दिन बीत चुके हैं. जिले की सातों विधानसभा सीटों पर पहले चरण में 6 नवंबर को मतदान होना है.

बिहारशरीफ. जिले में चुनावी आचार संहिता लागू हुए तीन दिन बीत चुके हैं. जिले की सातों विधानसभा सीटों पर पहले चरण में 6 नवंबर को मतदान होना है. लेकिन अब तक किसी भी दल ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है. सत्ताधारी दल से लेकर विपक्षी महागठबंधन तक, सभी खेमों में टिकट बंटवारे को लेकर गहरी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कार्यकर्ताओं में बेचैनी है और कई संभावित उम्मीदवार टिकट की आस में पटना में डेरा डाले हुए हैं. हरनौत, हिलसा और इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी चयन को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष, दोनों ही दलों में खींचतान तेज हो गई है. कई दावेदारों के नाम सामने आने के बावजूद अंतिम फैसला टलता जा रहा है. आचार संहिता लागू होने के बाद से नेताओं ने सोशल मीडिया पर अपनी गतिविधियां भी सीमित कर दी हैं. वहीं कुछ संभावित निर्दलीय उम्मीदवार नई पार्टियों से टिकट या समर्थन पाने के लिए कोशिशें कर रहे हैं. विपक्ष गांव-गांव में मोर्चा खोलने की तैयारी में:-

क्षेत्र के हिसाब से विपक्ष संभावित उम्मीदवारों के कार्यकर्ताओं ने अभी चुनावी मोर्चा संभावल लिया है. सिंचाई, नदी, पोखर, तालाब, पइन, आहर जैसे सरकारी जमीन पर अतिक्रमण, भ्रष्टाचार, अधिकारियों की मनमानी जैसे मुद्दों को लेकर विपक्ष अब सक्रिय हो गया है. संभावित उम्मीदवार गांव-गांव जाकर जनता को योजनाओं में हो रही गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार की गणित समझा रहे हैं. चुनाव नज़दीक आते ही जिले में राजनीतिक तापमान बढ़ने लगा है. एक ओर प्रत्याशियों की घोषणा का इंतज़ार है, तो दूसरी ओर जनता विकास और पारदर्शिता के मुद्दे पर नेताओं से जवाब मांग रही है.

भ्रष्टाचार और मनमानी से जनता में गुस्सा:-

राजनीतिक उथल-पुथल के बीच जिले में प्रशासनिक कामकाज और सरकारी दफ्तरों में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. लोगों का आरोप है कि शिकायतों पर अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते. कई जनप्रतिनिधि अपने परिवार और करीबियों के नाम पर योजनाओं के ठेके दिलाते हैं, जिसमें मोटी रकम का खेल होता है. पिछले दस वर्षों में सरकारी खरीद-फरोख्त में मनमानी की परंपरा गहराई है. उदाहरण के तौर पर, एक प्रिंटर जिसकी वास्तविक कीमत 3,000 रुपये होती है, उसका बिल 75,000 रुपये तक दिखाया जाता है. यह खेल विभागीय बाबुओं और वेंडरों की मिलीभगत से चलता है. एक संभावित उम्मीदवार के अनुसार, राजगीर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता और चुनाव कार्यों से जुड़े बैनर-पोस्टर की छपाई में भी अनियमितताओं के आरोप लगे हैं. वहीं मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनी सड़कों की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. वार्ड पार्षदों से लेकर मंत्रियों तक ने निर्माण कार्यों की खराब गुणवत्ता पर नाराजगी जताई है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कोई गंभीर कदम नहीं उठाया गया है.

बॉक्स न्यूज –

बड़े दल अभी भी मौन और जनसुराज पार्टी ने की तीन सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा

बिहारशरीफ. जिले की सातों विधानसभा सीटों के लिए शुक्रवार से नामांकन शुरू हो गया है. इस चुनावी रेस में जनसुराज पार्टी सबसे आगे नजर आ रही है, जिसने तीन सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है. हालांकि, अन्य सभी बड़ी राष्ट्रीय पार्टियां और सत्ताधारी दल अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं. इस टिकट की खींचतान ने उनके अपने कार्यकर्ताओं में बेचैनी पैदा कर दी है. वहीं, पटना में पार्टी मुख्यालयों का माहौल गर्म है, जहां टिकट की उम्मीद लगाए सैकड़ों संभावित उम्मीदवार और उनके समर्थक जमा हैं. माना जा रहा है कि अगले एक-दो दिनों में बड़ी पार्टियां अपने उम्मीदवारों की घोषणा करेंगी, जिसके बाद चुनावी रंग पूरी तरह से छा जाएगा.

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