बिहारशरीफ. जिले में पानी में डूबने से होने वाली मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीते एक सप्ताह से जारी हल्की फुहारों ने भी ग्रामीण और शहरी इलाकों में सड़क किनारे बने गड्ढों, नदियों, पोखरों और पइनों को खतरनाक रूप लेने पर मजबूर कर दिया है. दरअसल, इन जलाशयों की वास्तविक गहराई आम लोगों के अनुमान से कहीं अधिक है, जो इन्हें अप्रत्याशित खतरे में बदल देती है. इस त्रासदी की मुख्य जड़ अवैध मिट्टी की कटाई को माना जा रहा है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि निर्माण कार्यों के लिए की जा रही इस अनियंत्रित खनन ने जगह-जगह गहरे गड्ढे दिए हैं. बारिश का पानी भरते ही ये गड्ढे मौत के जाल बन जाते हैं. रोजमर्रा के कामों जैसे शौच जाना, मवेशी चराना या मूर्ति विसर्जन के दौरान लोग अचानक इन गहरे पानी में फंस जाते हैं और उबरने का मौका नहीं मिल पाता. कुछ लोगों का कहना है कि प्रशासन हर साल आपदा प्रबंधन और बचाव के दावे करता है, मगर जमीनी हकीकत इसके उलट दिखती है. ग्रामीणों का सीधा आरोप है कि खनन विभाग की शिथिलता और मिलीभगत के चलते यह अवैध धंधा बिना रोक-टोक जारी है. नतीजतन, नदी, तालाब और पोखर जैसे पारंपरिक जलस्रोत अब मौत के कुएं बन गए हैं. इन लगातार घट रही दुर्घटनाओं के बीच स्थानीय लोग जिला प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि अवैध मिट्टी खनन पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाए.खतरनाक गड्ढों को चिन्हित करके उन्हें भरवाया जाए. नदी-तालाबों के किनारे चेतावनी बोर्ड लगवाए जाएं और उचित सुरक्षा व्यवस्था की जाए. एक सप्ताह में छह जिंदगियों का अंत
केस-1: मूर्ति विसर्जन में डूबे तीन होनहार किशोर
केस-2: नदी पार करते वक्त महिला की डूबने से मौत
02 अक्टूबर को बिंद थाना क्षेत्र के बरहोग गांव के पास नदी में डूबने से धमेंद्र राम की 34 वर्षीय पत्नी सुनीता देवी की मौत हो गई. उनका शव अगले दिन दरियापुर गांव के पास जिराइन नदी से बरामद किया गया.
केस-3: स्कूल के पास खेलती बच्ची की डूबने से मौतकेस-4: शौच गए बुजुर्ग की नदी में डूबने से मौत
01 अक्टूबर को नूरसराय थाना क्षेत्र के अहियापुर मोड़ के पास सासी नदी में डूबने से 65 वर्षीय राजेंद्र रविदास की मौत हो गई. शाम में शौच के लिए निकले थे, जिनका शव अगले दिन नदी में मिला.
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