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Bihar election 2020 : रोचक प्रसंग : जब दो भाइयों की लड़ाई में प्रभावती सिंह जीत गयीं

यह बिहार विधानसभा के लिए 1980 का मध्यावधि चुनाव था. जनता पार्टी की सरकार केंद्र और प्रदेश में भी गिर गयी थी. केंद्र की तरह बिहार में भी मध्यावधि चुनाव कराया जा रहा था. जनता पार्टी की सरकार के गिर जाने से कांग्रेस पूरे उत्साह में थी.

यह बिहार विधानसभा के लिए 1980 का मध्यावधि चुनाव था. जनता पार्टी की सरकार केंद्र और प्रदेश में भी गिर गयी थी. केंद्र की तरह बिहार में भी मध्यावधि चुनाव कराया जा रहा था. जनता पार्टी की सरकार के गिर जाने से कांग्रेस पूरे उत्साह में थी.

रामगढ़ की सीट पर इसके पहले 1977 में समाजवादी सच्चिदानंद चुनाव जीते थे और कर्पूरी ठाकुर की सरकार में सिंचाई मंत्री हुए थे. इस बार के चुनाव में एक ओर सच्चिदानंद सिंह जनता पार्टी सेकुलर के टिकट पर उम्मीदवार थे. दूसरी ओर उनके छोटे भाई जगदानंद सिंह निर्दलीय उम्मीदवार हुए. कांग्रेस ने प्रभावती सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था.

दोनों भाइयों के बीच चुनावी जंग में रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस को करीब पंद्रह सौ से अधिक मतों से जीत हासिल हुई. चुनाव मैदान में खड़े सच्चिदानंद को 14198 वोट मिले, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 15953 वोट मिले. वहीं, तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय जगदानंद सिंह को 10 हजार से अधिक वोट मिले.

अगली बार 1985 के विधानसभा चुनाव में रामगढ़ में एक बार फिर जगदानंद सिंह और कांग्रेस की प्रभावती सिंह के बीच चुनावी टक्कर हुई. इस बार सच्चिदानंद चुनाव मैदान में नहीं थे. लोकदल ने जगदानंद सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था. जगदानंद सिंह भारी मतों से चुनाव जीत गये. कांग्रेस की उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहीं. जगदानंद सिंह इसके बाद लगातार छह बार रामगढ़ से विधायक हुए.

posted by ashish jha

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