डंडारी. महिपाटोल पंचायत के आदर्श ग्राम मोहब्बा के हनुमान मंदिर प्रांगण में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन कथा श्रवण को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. वृंदावन धाम से आए कथा वाचक आचार्य मनोहर मिश्र जी महाराज ने श्रीकृष्ण-रुकमिनि विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि रुकमिनी का भाई रुकमिनी का विवाह शिशुपाल के साथ करवाना चाहता था. आचार्य ने शिशुपाल का अर्थ बताते हुए कहा कि शिशु यानि बच्चा का पालन – पोषण करना होता है. आचार्य मनोहर मिश्र जी महाराज ने इसका तात्विक अर्थ बताते हुए कहा कि जो भी मनुष्य लक्ष्मी यानि अपने धन का उपयोग केवल बाल-बच्चों के पालन पोषण व केवल अपने उपर ही खर्च करते रहता है उससे धन की देवी लक्ष्मी महारानी नाराज होकर अपने स्वामी नारायण यानि भगवान श्रीकृष्ण को पुकारती है और लक्ष्मी जी की पुकार सुनकर भगवान श्रीकृष्ण आते हैं और रुक्मिणी रूपी लक्ष्मी का हरण कर लेते हैं. आचार्य मनोहर मिश्र जी महाराज ने कहा कि जो भी मनुष्य अपने कमाई का दशांस भाग भगवान के लिए खर्च करता है, दान करता है, गरीबों व समाज सेवा में लगाता है उसके उपर धन की देवी मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है और ज्ञान के देवता श्रीकृष्ण भी प्रसन्न रहते हैं. यानि ऐसे व्यक्ति के जीवन मे धन की कमी नहीं होती है और ज्ञान में भी कमी नहीं होती है. वहीं दुसरी ओर जो व्यक्ति अपने कमाई का दशांस भाग धर्म के लिए खर्च नहीं करता है उसके जीवन से धनरूपी लक्ष्मी का हरण भगवान कर लेते हैं और ज्ञान के देवता के अप्रसन्न होने से उसके जीवन में सद्बुद्धि का भी कमी हो जाती है अतः हर मनुष्य को चाहिए कि वह अपनी कमाई का दशांस भाग धर्म व समाज सेवा के लिए दान करते रहे. जिससे उसके उपर लक्ष्मी और नारायण दोनों की कृपा बरसते रहे. आचार्य मनोहर मिश्र जी महाराज ने कंस बध की भी कथा भी सुनायी. महाराज जी के द्वारा गोपी गीत का पाठ भी सुनाये गये. इस दौरान चहुंओर भक्तिमय माहौल बना रहा.
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