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बिहार में सेब की खेती को बढ़ावा देने की हो रही तैयारी, कृषि वैज्ञानिकों की देख रेख में लगाए जा रहे पौधे

सेब की खेती यदि अच्छे तरीके से की जाये, तो कृषकों की आमदनी कई गुना बढ़ जायेगी. अभी वैशाली, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, भागलपुर व औरंगाबाद में सेब की खेती प्रयोग के तौर पर की जा रही है.

पटना. कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने विशेष उद्यानिक फसल योजना अंतर्गत सेब के क्षेत्र विस्तार योजना के तहत अधिक- से- अधिक किसानों को जोड़ने के आदेश दिये हैं. वे बुधवार को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर फ्रूट्स, देसरी ( वैशाली) के प्रशिक्षण कार्यक्रम को आॅनलाइन संबोधित कर रहे थे. मंत्री का कहना है कि पॉयलेट बेसिस पर चुने गये सात जिलों के अलावा अन्य प्रक्षेत्र के कृषि विज्ञान केंद्र में भी वैज्ञानिकों की देखरेख में सेब की खेती करवाने की जरूरत है.

सेब की खेती यदि अच्छे तरीके से की जाये, तो कृषकों की आमदनी कई गुना बढ़ जायेगी. अभी वैशाली, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, भागलपुर व औरंगाबाद में सेब की खेती प्रयोग के तौर पर की जा रही है. इसको बढ़ावा देने के लिए देसरी ने विशेष उद्यानिक फसल योजनांतर्गत सेब का क्षेत्र विस्तार पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया था. इसमें उद्यान निदेशक नंद किशोर और वैज्ञानिकों ने सेब की खेती विषय पर किसानों के साथ संवाद किया. किसानों ने भी अपने अनुभव साझा किये.

हरमन–99 सेब की खेती राज्य के अनुकूल

यह 45–48 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान भी सहन कर सकता है. सेब की खेती के लिए विभिन्न जरूरतों तथा इसके कटाई- छटाई के बारे में कृषकों के साथ जानकारी साझा की गयी. उपनिदेशक उद्यान राकेश कुमार द्वारा किसानों को उद्यान निदेशालय की योजनाओं के बारे में जानकारी दी गयी. नीतेश कुमार राय, उपनिदेशक, उद्यान , डॉ अभय कुमार गौरव, परियोजना पदाधिकारी, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस चंडी, नालंदा, ओम प्रकाश मिश्रा, सहायक निदेशक, उद्यान, वैशाली, शंभु प्रसाद, सहायक निदेशक उद्यान, मुजफ्फरपुर, विनोद कुमार आदि ने भी विचार रखे.

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पातेपुर के किसान संजय ने मंत्री से साझा किया अनुभव

वैशाली के पातेपुर ब्लॉक के किसान संजय करीब चार साल से सेब की खेती कर रहे हैं. अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि प्रत्येक पेड़ से 15- 20 किलो सेब प्राप्त होता है. इसका स्वाद अन्य राज्यों के सेब के जैसा ही होता है. इससे उसे बाजार में बेचने में कोई कठिनाई नहीं होती है. कीमत भी अच्छी मिल जा रही है.

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