कोलकाता : भारत के पूर्व कप्तानबिशन सिंह बेदीने खिलाड़ियों के उत्साह को कैमरे पर दिखाने वाला उत्साह करार दिया है. अपने जज्बात जाहिर करने से गुरेज रखने वाले भारत के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी ने आज कहा कि मैदान पर आजकल भावनाओं और उत्साह का प्रदर्शन ज्यादातर कैमरों को दिखाने के लिये होता है और इसे सभ्य नहीं माना जा सकता.
लार्डस पर जीत के बाद तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली द्वारा कमीज उतारकर हवा में लहराने की मशहूर घटना के बारे में बेदी ने कहा कि टीवी कवरेज के कारण क्रिकेट कल्चर बदल गया है.उन्होंने कहा ,‘‘ मैने लार्डस की बालकनी में खडे होकर कमीज लहराते उसकी तस्वीर क्लब हाउस में देखी है लेकिन वह सभ्य आचरण नहीं था. मैने कयास लगाने की कोशिश की कि वह क्या बुदबुदा रहा था.’’
उन्होंने यहां बंगाल क्रिकेट संघ द्वारा आयोजित एक परिचर्चा में कहा ,‘‘ मुझे पता है कि यह उत्साह टीवी कैमरों के लिये होता है. मुझे लगता है कि आपको इस बदलाव को स्वीकार करना होगा लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह बेहतरी के लिये है.’ पूर्व कप्तान टाइगर पटौदी की तारीफ करते हुए बेदी ने कहा ,‘‘टाइगर कभी अपना आपा नहीं खोते थे. यदि कोई खिलाडी शतक बनाता या विकेट लेता था तो वह उसे अपनी कैप देते थे. वह कभी जश्न में कूदते नहीं थे. यह क्रिकेट कल्चर है.’’ उन्होंने कहा ,‘‘ टाइगर अपने समय से सौ बरस आगे थे. वह भारतीय होने पर गर्व महसूस करते थे. शुरुआती टीम बैठकों में वह हमेशा हमें दिल्ली, बंबई या कर्नाटक से आगे सोचने की कहते थे. वह हमेशा कहते थे हम सभी भारतीय हैं.’’
बेदी ने गांगुली की भी तारीफ करते हुए कहा ,‘‘ उसने जीत की ललक पैदा की. उसने बदलते समय के साथ क्रिकेट के नये मानदंड कायम किये लेकिन वह उस समय ऐसा करने की स्थिति में भी था.’’ चकर्स पर आईसीसी की सख्ती के बारे में उन्होंने कहा कि ऐसा 20 बरस पहले हो जाना चाहिये था.उन्होंने कहा ,‘‘ एशियाई उपमहाद्वीप के चार वोट हैं. दूसरा और तीसरा इसी उपमहाद्वीप से निकली हैं. यह सभी दूसरा और तीसरा बकवास है.’’
