Papankusha Ekadashi 2025: हिन्दू परंपराओं में एकादशी को बेहद पवित्र और शुभ माना गया है. इस दिन व्रत और पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. साल में 24 एकादशियां पड़ती हैं, लेकिन जब अधिकमास आता है तो इनकी संख्या 26 हो जाती है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर महीने की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं. यह तिथि महीने में दो बार आती है – अमावस्या के बाद और पूर्णिमा के बाद.
पापांकुशा एकादशी का महत्व
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि इस व्रत से व्यक्ति को दिव्य फल प्राप्त होता है और सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. इस दिन व्रत रखकर सोना, तिल, गाय, अन्न, जल, छाता और जूते का दान करने से पिछले जन्म के पाप भी मिट जाते हैं. कहा जाता है कि यह व्रत यमलोक के दुखों से बचाता है और सुख-समृद्धि देता है. एकादशी का व्रत ग्रह दोषों को शांत करता है और मन-तन को स्वस्थ रखता है. मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने वाले पर कमजोर चंद्रमा का असर नहीं पड़ता. विजयादशमी के बाद राम और भरत का मिलन भी इसी तिथि को हुआ था.
पापांकुशा एकादशी 2025 तिथि
पापांकुशा एकादशी अश्विन शुक्ल पक्ष में आती है. साल 2025 में इसकी तिथि 2 अक्टूबर गुरुवार शाम 7:10 बजे से शुरू होकर 3 अक्टूबर शुक्रवार शाम 6:32 बजे तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार व्रत 3 अक्टूबर को रखा जाएगा.
इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान विष्णु की पूजा
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का शुभ समय सुबह 11:46 से दोपहर 12:34 तक रहेगा. मान्यता है कि इस मुहूर्त में पूजा करने से पापों का नाश होता है, पुण्य बढ़ते हैं और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है.
पापांकुशा एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. फिर हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें. पूजा स्थल पर भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें. पंचामृत से अभिषेक करें और पीले फूल, खासकर गेंदे, अपराजिता और हरसिंगार चढ़ाएं. भगवान को तुलसी दल अर्पित करना न भूलें. अंत में धूप, दीप, चंदन और नैवेद्य अर्पित कर पूजा पूरी करें.

