Laddu Gopal Bhog: लड्डू गोपाल यानी बाल स्वरूप श्रीकृष्ण, जिनकी पूजा हर घर में बड़े ही प्रेम और वात्सल्य से की जाती है. उन्हें बच्चा मानकर हर काम वैसे ही किया जाता है जैसे किसी छोटे शिशु के लिए किया जाता है जैसे स्नान कराना, वस्त्र पहनाना, श्रृंगार करना और सबसे जरूरी उन्हें स्वादिष्ट भोग अर्पित करना. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ भोग सामने रखने से ही लड्डू गोपाल प्रसन्न नहीं होते? इसके लिए एक विशेष मंत्र का उच्चारण बेहद आवश्यक होता है.
भोग लगाते समय करें इस मंत्र का जाप
लड्डू गोपाल की सेवा पूरी श्रद्धा और नियमों से की जाती है. जैसे छोटे बच्चे को पहले जगाया जाता है, फिर स्नान कराया जाता है, वैसे ही लड्डू गोपाल की सेवा भी की जाती है. लेकिन बहुत से लोग एक बड़ी गलती कर बैठते हैं वे बस थाली में भोग रखकर चले जाते हैं. जबकि सही तरीका यह है कि भोग लगाते समय एक मंत्र का उच्चारण जरूर किया जाए. यह मंत्र है:
“त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।
गृहाणे सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर।”
इस मंत्र का अर्थ है — हे गोविन्द! जो कुछ भी मेरे पास है, वह सब तुम्हारा ही दिया हुआ है. अब मैं वही तुम्हें प्रेमपूर्वक अर्पण कर रहा हूं. कृपया इसे स्वीकार करें और प्रसन्न हों.
इस मंत्र का जाप करते समय मन में पूर्ण श्रद्धा और प्रेम होना चाहिए. यह मंत्र लड्डू गोपाल को आपकी भावना से जोड़ता है और आपकी सेवा को सार्थक बनाता है.
दिन में कितनी बार लगाएं लड्डू गोपाल को भोग
लड्डू गोपाल को दिनभर में कम से कम चार बार भोग अर्पित करना चाहिए, जैसे किसी बच्चे को दिनभर में समय-समय पर खाना दिया जाता है:
सुबह का भोग (6-7 बजे के बीच)
लड्डू गोपाल को जगाने के बाद आप उन्हें दूध या हल्की चाय का भोग अर्पित कर सकते हैं. यह उनका पहला आहार होता है.
दोपहर का भोग (दोपहर 12 से 1 बजे के बीच)
स्नान और श्रृंगार के बाद आप उन्हें पूरी, सब्जी, चावल या हलवा जैसे सात्विक भोजन का भोग लगा सकते हैं.
शाम का भोग (शाम 5-6 बजे)
इस समय लड्डू गोपाल को हल्का नाश्ता जैसे मखाने, मेवा या फल का भोग अर्पित किया जाता है.
रात्रि का भोग (रात 8-9 बजे)
दिनभर की सेवा के बाद लड्डू गोपाल को दूध का भोग लगाकर उन्हें शयन कराया जाता है.
हर बार भोग लगाते समय एक शांत वातावरण रखें, और मंत्रोच्चारण करना न भूलें. इससे न केवल पूजा पूरी होती है, बल्कि लड्डू गोपाल की कृपा भी आपके घर पर बनी रहती है.
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