Kartik Month 2025: इस महीने में कई पवित्र परंपराएँ निभाई जाती हैं. इस महीने में रोज़ाना तुलसी पूजा और दीपदान करना शुभ माना जाता है, साथ ही पवित्र जल में स्नान करने से आत्मा शुद्ध होती है. कई लोग इस समय व्रत और उपवास रखते हैं और भजन-कीर्तन, तुलसी चालीसा या विष्णु चालीसा का पाठ करते हैं, जिससे मन की शांति और आध्यात्मिक शक्ति मिलती है. इसके अलावा, दान और सेवा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पुण्य के फल प्राप्त होते हैं.
तुलसी चालीसा
श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।
जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।
नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।
दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।
विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।
भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।
जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।
करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।
कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।
तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।
कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।
वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।
श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।
कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।
छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।
तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।
औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता,
देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।
वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।
नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।
नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।
नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।
नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।
नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।
नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।
जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।
निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।
करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।
शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।
क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।
मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।
जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।
बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।
प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।
चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।
करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।
पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।
यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।
करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।
है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।
तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।
यह श्रीतुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।
गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।।
तुलसी चालीसा पाठ के लाभ
भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है: कार्तिक मास में तुलसी चालीसा का पाठ करने से भक्त को भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है. इससे जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है.
मन को शांति और स्थिरता मिलती है: नियमित पाठ से मन शांत रहता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं. व्यक्ति का ध्यान भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा की ओर केंद्रित होता है.
सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है: तुलसी के पास दीप जलाकर और चालीसा का पाठ करके घर में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है. यह नकारात्मकता और बुरी नजर से सुरक्षा का प्रतीक भी माना जाता है.
आध्यात्मिक शक्ति का विकास: पाठ करने से साधक के अंदर आध्यात्मिक शक्ति और सहनशीलता बढ़ती है. इससे व्रत और पूजा-पाठ का फल भी अधिक माना जाता है.
सुखी वैवाहिक और पारिवारिक जीवन: कहा जाता है कि तुलसी चालीसा का नियमित पाठ पूरे परिवार में प्रेम, सौहार्द और समृद्धि बनाए रखता है.
तुलसी चालीसा का पाठ करना क्यों माना जाता है शुभ
कार्तिक मास में तुलसी चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ इसलिए माना जाता है क्योंकि इसे पढ़ने से साधक को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, मन शांत और स्थिर रहता है, और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. नियमित पाठ करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है, आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है, और व्रत या पूजा-पाठ का फल भी अधिक माना जाता है.
कार्तिक मास में कौन-कौन सी पूजा विशेष होती है?
इस महीने में तुलसी पूजा, दीपदान और भजन-कीर्तन प्रमुख हैं. तुलसी के पास दीप जलाना और चालीसा का पाठ करना शुभ माना जाता है.
कार्तिक मास में स्नान का क्या महत्व है?
माना जाता है कि पवित्र जल में स्नान करने से आत्मा शुद्ध होती है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और पुण्य की प्राप्ति होती है.
कार्तिक महीने में व्रत क्यों रखा जाता है?
व्रत और उपवास करने से मानसिक संयम बढ़ता है, आध्यात्मिक शक्ति मिलती है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है.
कार्तिक महीने में दान और सेवा का महत्व क्या है?
कार्तिक मास में गरीबों को भोजन, वस्त्र या धन देना पुण्यकारी माना जाता है. इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पुण्य के फल मिलते हैं.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

