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कब से शुरू होगा हिंदू नववर्ष, जानिए सही डेट

Hindu New Year 2025: हिंदू कैलेंडर में बारह महीने होते हैं, जिनमें पहला महीना चैत्र और अंतिम महीना फाल्गुन होता है. कहा जाता है कि उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने लगभग 2000 वर्ष पूर्व विक्रम संवत की शुरुआत की थी. हिंदू संस्कृति के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को विशेष महत्व देते हुए विक्रमादित्य ने इस पंचांग को सम्पूर्ण भारत के लोगों तक पहुँचाया. आइए जानते हैं कि वर्ष 2025 में हिंदू नव वर्ष कब मनाया जाएगा.

Hindu New Year 2025: सनातन धर्म के अनुसार हिंदू नव वर्ष को भारतीय नव वर्ष के भी नाम से जाना जाता हैं, यह प्रायः दो कैलेंडर के रूप में प्रचलित हैं एक तो शक संवत और दूसरा विक्रमी संवत, हालांकि दोनों के वर्ष की शुरआत एक ही दिन और एक ही महीने से होती है. वहीं शक संवत ग्रेगोरियन कैलेंडर से करीब 78 वर्ष नया है और विक्रमी संवत कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर से 57 वर्ष पुराना माना जाता है. इसलिए अंग्रेजी कैलेंडर के वर्ष में 57 जोड़कर विक्रमी संवत की समय अवधि को निकालते हैं और फिर 78 से घटाकर शक संवत की संख्या निकालते हैं.

कब से होगा 2025 नव वर्ष का शुभारंभ

वहीं इस वर्ष विक्रम संवत 2082 का शुभारंभ होगा.साथ ही इस साल हिंदू नव वर्ष का शुरुआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के मुताबिक 30 मार्च 2025 से होगा.

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2082 विक्रम संवत के 12 महीने

  • चैत्र (अप्रैल)
  • वैशाख(मई)
  • ज्येष्ठ(जून)
  • आषाढ़(जुलाई)
  • श्रावण (अगस्त)
  • भाद्रपद(सितंबर)
  • अश्विन(अक्टूबर)
  • कार्तिक(नवंबर)
  • मार्गशीर्ष(दिसंबर)
  • पौष(जनवरी)
  • माघ(फरवरी)
  • फाल्गुन(मार्च)

हिंदू कैलेंडर के अनुसार धार्मिक महत्व

चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के अनुसार हिंदू नववर्ष मनाया जाता है.वहीं 57ईसा पूर्व सम्राट विक्रमादित्य ने इस नव वर्ष की शरुआत किया था, जिसे अब पूरे भारतवर्ष के सबसे प्राचीन और प्रचलित पूर्ण वर्ष में से एक माना जाता है.वहीं हिंदू नववर्ष के साथ ही चैत्र नवरात्रि का आरंभ होता है.इस दिन से नए संवत्सर के राजा तय किये जाते हैं.जिसे मां दुर्गा की पूजा-आराधना से नए अनुष्ठान और संकल्पों का प्रतीक माना जाता है.साथ ही महाराष्ट्र और गोवा में ये नव वर्ष का दिन गुड़ी पड़वा के रूप में और साथ ही दक्षिण भारत में इसे उगादि उत्सव के रूप में मनाते हैं और सिंधी समुदाय में इसे चेटीचंड उत्सव के रूप में भगवान झूलेलाल की पूजा के साथ मनाते है. वहीं हिंदू नववर्ष की शुरुआत के साथ ही सूर्य उत्तरायण में विराजमान हो जाते है जिसे की हिंदू धर्म में शुभ मुहूर्त माना जाता है. इस दिन से सभी मंगलकारी कार्यो का शुभारंभ हो जाता है.

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