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छोटी दीपावली व नरक चतुर्दशी आज, जलायें खुशियों के दीप

छोटी दीपावली मंगलवार, छह नवंबर को है. इसी दिन हनुमान जयंती (दक्षिण भारतीय मान्यता अनुसार), नरक चतुर्दशी, यम तर्पण, दीप दान और निशीथ व्यापणी अमावस्या है. इस दिन महाकाली पूजा भी होगी. महानिशीथ काल रात्रि 11:05 से 11:53 बजे तक है. इस अवधि में महाकाली की पूजा कर लेनी चाहिए. नरक चतुर्दशी नरक चतुर्दशी के […]

छोटी दीपावली मंगलवार, छह नवंबर को है. इसी दिन हनुमान जयंती (दक्षिण भारतीय मान्यता अनुसार), नरक चतुर्दशी, यम तर्पण, दीप दान और निशीथ व्यापणी अमावस्या है. इस दिन महाकाली पूजा भी होगी. महानिशीथ काल रात्रि 11:05 से 11:53 बजे तक है. इस अवधि में महाकाली की पूजा कर लेनी चाहिए.

नरक चतुर्दशी
नरक चतुर्दशी के निमित्त पूर्वाभिमुख होकर चार बत्तियों वाले दीप प्रज्वलित करना चाहिए. प्रदोष काल के बाद ही इसे प्रज्वलित करना उत्तम माना जाता है. यम तर्पण को ध्यान में रखते हुए प्रदोष काल के समय दक्षिण दिशा की अोर मुख कर जल में काला तिल, कुश देकर यमदेव को स्मरण करना चाहिए. उस स्थान पर जल छिड़क देना चाहिए. यम देव के निमित्त ही दीप प्रज्वलित करना चाहिए.
हर जगह जलायें दीप
प्रदोष काल के समय तिल के तेल से भरे सुपूजित 14 दीपक ब्रह्मा, विष्णु व महेश के निमित्त पूजन कक्ष, मठ, बाग-बगीचे, जल श्रोत के समीप, गली-कूचे, नजर दिशाएं, पशुशाला में स्थापित करना चाहिए. बचे दीप सूने स्थान पर रखना चाहिए. मान्यतानुसार ऐसा करने से यमदेव प्रसन्न होते हैं. दीपावली कार्तिक अमावस्या को दीपावली मनायी जाती है. इस वर्ष यह बुधवार, सात नवंबर को है. इस दिवस को कमल अथवा लक्ष्मी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी भगवान राम 14 वर्ष वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे. इस उपलक्ष्य में दीप प्रज्वलित करने की परंपरा शुरू हुई. इस दिन प्रदोष काल, अन्य शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी के साथ गणपति देव और कुबेर की पूजा की जाती है. व्यवसायी व्यापार स्थल की पूजा, तुला पूजन, बही-खाते का पूजन करते हैं.
दीपावली में गणपति, महालक्ष्मी और कुबेर पूजन के लिए
शुभ मुहूर्त : शाम 5:31 से 7:30 बजे प्रदोष काल : शाम 5:05 से 6:40 बजे, वृषभ लग्न (स्थिर लग्न) : शाम 5:31 से 7:30 बजे सिंह लग्न (स्थिर लग्न) : रात्रि 12 से 2:10 बजे
गोवर्धन व अन्नकूट पूजा
दीपावली के अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा व अन्नकूट पूजा होती है. यह गुरुवार, आठ नवंबर को है. इस दिन श्रीहरि के कृष्ण रूप की पूजा की जाती है. घर में गोबर से गोवर्धन पर्वत की रचना कर पूजन करने की परंपरा है. मंदिर और ठाकुरबाड़ियों में अन्नकूट का आयोजन होता है. भगवान को 56 प्रकार के भोग पराेसे जाते हैं.
शुभ मुहूर्त: दिवा : 10:23 से 12:51 बजे
भैयादूज
कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भैयादूज, यम द्वितीया और चित्रगुप्त की पूजा जाती है.
इसके निमित्त शुभ मुहूर्त : सुबह 5:57 से 7:18 बजे, सुबह 8:54 से 10:05 बजे, दोपहर 3:40 से शाम 5:00 बजे, सर्वोत्तम मुहूर्त : दिवा 11:10 से 11:50 बजे

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