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Mughal Harem Stories : मुगल हरम हमेशा एक रहस्य बना रहा. इटली के चित्रकार गिउलिओ रोसाती ने मुगलों के हरम की ऐसी तस्वीर प्रस्तुत की, जिसमें हरम को महज अय्याशी की जगह बताया गया. गिउलिओ रोसाती की तस्वीर वायरल होने के बाद हरम की चर्चा भी खूब हुई, लेकिन हरम की सच्चाई सिर्फ इतनी ही नहीं है कि वहां मुगल राजा अपनी रानियों और रखैलों के साथ रहता था. सच्चाई यह है कि हरम इससे कई गुणा अलग छवि वाला होता था. इतिहासकार किशोरी शरण लाल ने मुगलों के हरम की बेहतरीन तस्वीर पेश की है और उन्होंने हरम की सच्चाई बयां की है.
क्या होता था हरम?
हरम एक ऐसी पाक जगह माना जाता था जहां किसी भी बाहरी पुरुष का प्रवेश वर्जित था. यही वजह है कि विदेशी इतिहासकारों या यात्रियों ने हरम के बारे में कुछ भी विस्तार से नहीं लिखा. मुगल साम्राज्य के फारसी इतिहासकारों को भी हरम में प्रवेश की इजाजत नहीं थी इसलिए उन्होंने जो कुछ लिखा वह बाहरी बातें थीं. केएस लाल ने अपनी किताब THE MUGHAL HAREM में लिखा है कि अबुल फजल जैसे लोगों को भी राजकुमारियों और रानियों से बात करने की इजाजत नहीं थी. हरम शब्द अरबी का शब्द है जिसका अर्थ होता है आदरणीय या पवित्र. इस लिहाज से यह तो कहा जाता सकता है कि मुगलों के लिए हरम महज मनोरंजन की जगह नहीं था, वे हरम और उसमें रहने वालों का सम्मान भी करते थे. हरम शब्द को रनिवास की तरह समझा जा सकता है. लेकिन मुगलों के हरम की रूपरेखा उससे थोड़ी अलग प्रतीत होती है, क्योंकि यहां दासियां और कैदी महिलाएं भी होती थीं.
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किसने पहली बार स्थापित किया हरम

भारत में जब मुगल आए तो बाबर ने हरम की स्थापना की. उसके हरम में उसकी मां, पत्नियां और दासियां रहा करती थीं. हूमायूं के समय भी हरम मौजूद था और उसकी वही परिकल्पना थी. लेकिन बादशाह अकबर ने हरम को अलग ही स्वरूप दिया और हरम का महत्व काफी बढ़ गया. अकबर ने विशाल हरम बनवाएं जहां ना सिर्फ उनकी रानियां साथ में रहती थी बल्कि हरम मुगल शासन में भी अहम रोल निभाता था. अकबर के बेटे जहांगीर और उनके बेटे शाहजहां के दौर में भी हरम का कद बढ़ता गया.
कहां बनाए गए थे हरम
केएस लाल ने अपनी किताब में लिखा है कि मुगल शासकों ने अपनी राजधानी आगरा, दिल्ली फतेहपुर सीकरी और लाहौर में हरम का निर्माण करवाया. हालांकि मुख्य हरम आगरा और दिल्ली में ही था. कई बार हरम शिविरों में भी स्थापित किए गए, क्योंकि जहां राजा होता था वहीं हरम भी होता था.
हरम में कौन रहती थीं ?

हरम की व्यवस्था विचित्र थी. यहां राजा की मां के अलावा उसकी मौसी, चाची, बहनें, पत्नियां, रखैलें, दासियां, कैदी महिलाएं, छोटे राजकुमार और मनोरंजन करने वाले रहते थे. पुरुषों का प्रवेश वर्जित होता था और राजा के अतिरिक्त सिर्फ उन्हीं पुरुषों को यहां प्रवेश मिलता था, जो उनके बहुत अजीज और करीबी होते थे. हरम की प्रमुख राजा की मां होती थी, उसके बाद उसकी पत्नियों का स्थान था. जिस रानी की जैसी हैसियत होती थी उसी के हिसाब से उसका रुतबा होता था. इसमें कोई दो राय नहीं है कि हरम की महिलाओं का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता था. मुख्य पत्नियों की बात अगर छोड़ दें तो अधिकांश महिलाएं महज राजा को यौन सुख देने के लिए वहां मौजूद रहती थीं. जहांगीर जैसे शासकों ने अपनी आत्मकथा में हरम का खूब उल्लेख किया है. बेशक मुगल हरम एक ऐसी जगह था जहां रोमांस भी खूब हुआ, पति–संबंध के आदर्श भी दिखे, राजनीति और पतन सबकुछ हरम में स्पष्ट नजर आता था. सबसे खास बात यह थी कि राजा से संबंधित सभी महिलाएं यहां एक साथ अदब के साथ रहती थीं.
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