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नूरजहां को पाने के लिए हद से गुजरा जहांगीर

जहांगीर और मेहरून्निसा पहली बार एक बगीचे में मिले थे. देखते ही दोनों एक-दूसरे पर मर मिटे. लेकिन इनके वालिद इस रिश्ते से खुश नहीं थे. दोनों का निकाह अलग-अलग जगह करा दिया गया़ जहांगीर मेहरून्निसा के प्रेम में दीवाना हो गया था और उसे पाने के लिए उसके पति शेर अफगान अलीकुली को मरवा […]

जहांगीर और मेहरून्निसा पहली बार एक बगीचे में मिले थे. देखते ही दोनों एक-दूसरे पर मर मिटे. लेकिन इनके वालिद इस रिश्ते से खुश नहीं थे. दोनों का निकाह अलग-अलग जगह करा दिया गया़ जहांगीर मेहरून्निसा के प्रेम में दीवाना हो गया था और उसे पाने के लिए उसके पति शेर अफगान अलीकुली को मरवा दिया़ बड़ी मिन्नतों के बाद मेहरून्निसा जहांगीर के साथ निकाह के लिए राजी हुई. तब वह मेहरून्निसा से नूरजहां बनी. इतिहास में उसे साहसी महिला के रूप में जाना जाता है, जो जहांगीर के साथ सत्ता की सारी बागडोर संभालती थी.
बला की खूबसूरत नूरजहां का असली नाम मेहरून्निसा था. मुगल बादशाह अकबर के लाड़ले बेटे शाहजादा सलीम उर्फ जहांगीर ने नूरजहां काे सबसे पहले एक बगीचे में देखा था और देखते ही अपनी सुध-बुध खो बैठा़ सलीम ने उसे दो कबूतर देकर कहा कि हम अभी आते हैं. मेहरून्निसा के हाथ से एक कबूतर उड़ गया. शाहजादा जब आया तो उसने कबूतर के बारे में पूछा कि वह कैसे उड़ गया? मासूम मेहरून्निसा ने दूसरा कबूतर उड़ाते हुए कहा- …ऐसे…! मेहरून्निसा की इस मासूमियत पर जहांगीर फिदा हो गया और उसने निश्चय किया कि वह उसी से शादी करेगा.
मेहरून्निसा एतिमातुद्दौला की बेटी थी. जहांगीर ने मेहरून्निसा से अपनी शादी के लिए अपने पिता अकबर के पास संदेश भेजा, लेकिन अकबर तैयार नहीं हुए़ यही नहीं, मेहरून्निसा के पिता को भी यह रिश्ता मंजूर नहीं था़ एतिमातुद्दौला ने मेहरून्निसा की शादी अपने भतीजे अलीगुल से कर दी. यही अलीगुल, बिना किसी औजार की सहायता के शेर को मारने के कारण आगे चल कर शेर अफगान के रूप में मशहूर हुआ़ शादी के बाद मेहरून्निसा और अलीगुल बंगाल में रहने लगे. मुगल सल्‍तनत में बंगाल की जागीर शेर अफगान अलीगुल के पास थी.
शहंशाह अकबर की मौत के बाद जहांगीर जब गद्दी पर बैठा, तो उसने सबसे पहले मेहरून्निसा को पाने की कोशिशें तेज कर दीं. पहले उसने मेहरून्निसा को समझाने की कोशिश की कि वह अपने पति अलीगुल को तलाक देकर उससे निकाह कर ले, लेकिन मेहरून्निसा नहीं मानी. उल्‍टा मेहरून्निसा ने जहांगीर को पत्र भेजकर फटकार लगायी कि किसी औरत को अपने खाविंद से तलाक लेने के लिए उकसाना और उससे जबरदस्‍ती शादी करना एक बादशाह को शोभा नहीं देता है.
इसके बाद जहांगीर ने पहले साजिश कर शेर अफगान अलीगुल को एक शेर से लड़ाया, लेकिन उसने खाली हाथ शेर को मार गिराया. उसके बाद जहांगीर ने बंगाल के गर्वनर कुतुबुद्दीन को कह कर अलीगुल की हत्‍या करा दी. हालांकि इतिहासकारों में इस बात को लेकर एक राय नहीं है. शेर अफगान की मौत के बाद मेहरून्निसा अकबर की बेवा सलीमा बेगम की सेवा में नियुक्त हुई. जहांगीर तो इसी इंतजार में था.
उसनेमेहरून्निसा को आगरा के अपने शाही हरम में बुलवा लिया. जहांगीर ने उसे शादी के लिए राजी करने की बहुत कोशिश की और यह सफाई भी पेश की कि शेर अफगन की हत्‍या में उसका कोई हाथ नहीं है, लेकिन मेहरून्निसा नहीं मानी. जहांगीर उसके समक्ष प्रेम की भीख मांगता रहा और वह नहीं पसीजी. मेहरून्निसा के प्‍यार में दीवाने जहांगीर के कारण राज का कामकाज ठप हो चुका था. दरबार लगना बंद हो गया था. आखिरकार प्रमुख दरबारी मेहरून्निसा के पास पहुंचे और उसे राज्‍य की भलाई के लिए जहांगीर से शादी करने के लिए मनाने लगे. मेहरून्निसा मान गयी. सन 1611 में जहांगीर के साथ उसकी शादी हुई.
शादी के बाद जहांगीर ने मेहरून्निसा को ‘नूरजहां’ के खिताब से नवाजा.
कहते हैं कि नूरजहां से शादी करने के बाद जहांगीर हर वक्‍त उसकी जुल्‍फों के साये और शराब की मदहोशियों में डूबा रहता था. इसका नतीजा यह हुआ कि सत्ता की पूरी बागडोर नूरजहां के हाथों में आ गयी थी़ इतिहासकार डॉ बेनी प्रसाद कहते हैं कि नूरजहां राजनीतिक पैंतरों में काफी कुशल समझी जाती थी़ जब जहांगीर का दरबार लगता तो नूरजहां सिंहासन के पीछे जहांगीर की पीठ पर हाथ रख कर बैठती थी. जब तक वह नूरजहां का हाथ अपनी पीठ पर पाता, तब तक वह सही फैसले सुनाता रहता था और ज्‍ौसे ही नूरजहां उसकी पीठ से हाथ हटा लेती, वह दरबार बरखास्‍त कर देता था.
…और आखिर में
मशहूर डच लेखक डी-लायट ने जहांगीर और नूरजहां के प्रेम के बारे में अपनी किताब ‘डिस्क्रिप्शन ऑफ इंडिया एंड फ्रैग्मेंट ऑफ इंडियन हिस्ट्री’ में विस्तार से चर्चा की है. नूरजहां और जहांगीर की प्रेम कहानी को कई बार फिल्मों और टीवी धारावाहिकों में भी पेश किया जा चुका है़ इतिहाकारों का मानना है कि बादशाह जहांगीर ने नूरजहां की फरमाइश पर सन 1618 में पंजाब के जालंधर से 40 किलोमीटर की दूरी पर नूरजहां के जन्मस्थान पर नूरमहल तैयार कराया था़
कभी लाहौर से दिल्ली जाने का मुख्य मार्ग नूरमहल होकर ही गुजरता था. इतिहासकारों के मुताबिक मल्लिका नूरजहां का यहां जन्म तब हुआ, जब उनके पिता एतिमातुद्दौला ईरान से दिल्ली जा रहे थे. जब उनका काफिला यहां आराम फरमा रहा था, तभी उनकी बेगम को प्रसव पीड़ा हुई और नूरजहां का जन्म हुआ. जहांगीर और नूरजहां की कब्र लाहौर में स्थित है.

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