लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने कुपोषण मुक्त गांव बनाने के मकसद से विस्तृत दिशानिर्देश जारी किये हैं. राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने भाषा को बताया कि कुपोषण मुक्त गांव को लेकर आवश्यक शासनादेश जारी कर दियेगये हैं. प्रवक्ता ने कहा, मातृ-शिशु मृत्यु दर एवं मातृ-बाल कुपोषण में कमी लाते हुए कुपोषण मुक्त गांव बनाने के विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये गये हैं.
प्रवक्ता ने बताया कि शासन द्वारा इस संबंध में आवश्यक शासनादेश जारी कर दियेगये हैं. प्रवक्ता के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान देखभाल, स्तनपान, एनीमिया, स्वच्छता, शिक्षा एवं आजीविका जैसे उपायों को शामिल करते हुए संबंधित विभागों की ओर से संचालित योजनाओं के लिए मानक तय किये गये हैं.
उन्होंने बताया कि एक राजस्व गांव को इकाई मानकर वहां संचालित इन गतिविधियों का प्रभावी क्रियान्वयन एवं सघन निगरानी कर गांवों को चरणबद्ध ढंग से कुपोषण मुक्त गांव बनाया जायेगा. कुपोषण मुक्त गांव के लिए 12 आवश्यक मानक तय कियेगये है, जिसमें स्वास्थ्य, आइसीडीएस, पंचायती राज, बेसिक शिक्षा एवं ग्राम विकास विभागों के साथ खाद्य विभाग का एक मानक आवश्यक मानकों की सूची में शामिल किया गया है.
प्रवक्ता ने बताया कि 12 आवश्यक मानकों के अतरिक्त दो मुख्य एवं अनिवार्य मानक निर्धारित कियेगये हैं. मुख्य एवं अनिवार्य मानक के अनुसार 75 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं आयरन, फोलिक एसिड की निर्धारित मात्रा का सेवन करें ताकि गर्भावस्था के आखिरी तीन महीनों में किसी भी गांव में गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की व्यापकता 25 प्रतिशत से कम हो.
दूसरे मानक के अनुसार गांव में छह माह से पांच वर्ष तक का कोई बच्चा डब्लूएचओ ग्रोथचार्ट के अनुसार लाल श्रेणी में न हो. शासनादेश में यह भी निर्धारित किया गया है कि वही गांव कुपोषण मुक्त कहे जायेंगे जो दोनों अनिवार्य तथा आवश्यक मानकों पर खरे उतरेंगे. प्रवक्ता ने बताया कि कुपोषण मुक्त गांव बनाने की प्रक्रिया में ग्राम प्रधानों द्वारा पूर्ण सहयोग दिया जायेगा. इसके लिए ब्लाक स्तर पर होने वाले फील्ड कर्मियों के संयुक्त प्रशिक्षण में ग्राम प्रधान एवं पंचायत सचिवों को भी प्रशिक्षित किया जायेगा.
कुपोषण मुक्त गांव बनने की प्रक्रिया की प्रगति की समीक्षा के लिए राजस्व गांव गोद लेने वाले अधिकारी के भ्रमण के समय ग्राम प्रधान एवं पंचायत सचिव अवश्य उपस्थित रहेंगें और कार्य की प्रगति के संबंध में आवश्यक जानकारी उपलब्ध करायेंगे. शासनादेश में यह भी कहा गया है कि यथासंभव आस-पास के राजस्व गांवों को चयन करने का प्रयास किया जाये. इसके लिए एक विकास खंड के सभी गांवों को एक साथ कुपोषण-मुक्त गांव बनाने के लिए चयन करने की कोई अनिवार्यता नहीं है. कुपोषण मुक्त गांव बनाने के लिए राजस्व गांवों को गोद लेने वाले जनपदीय अधिकारियों द्वारा कम से कम दो राजस्व गांवों को गोद लेना अनिवार्य होगा. हर महीने संबंधित अधिकारियों द्वारा गांव के भ्रमण के आधार पर कुपोषण मुक्त गांव बनाने की प्रगति की सूचना अंकित की जायेगी.

