भारत में बचपन में अक्सर गलती करने पर बड़ों से थप्पड़ या मार मिलती है. अब एक शोध में पता चला है कि बच्चों को पीटने से कोई लाभ नहीं मिलता उल्टा बच्चों के लिए यह खतरनाक साबित हो सकता है. शोध में बताया गया है कि इससे बच्चे हिंसक और जिद करने वाले हो जाते हैं.
शोध में बच्चों के स्वभाव में सुधार लाने के लिए थप्पड़ या मारपीट को गलत बताया गया है. इसमें कहा गया है कि यह कोई हल नहीं है. ऐसा करने से बच्चों के व्यवहार पर प्रतिकूल असर पड़ता है.
यह शोध यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) और विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने मिलकर की है जिसमें कई चौकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. यह शोध 20 साल के अध्ययन पर आधारित है.
इस शोध में किसी एक देश को नहीं दुनिया भर के 69 रिपोर्ट को शामिल कर यह निष्कर्ष निकाला गया है. दुनिया भर में दो से चार साल उम्र के दो तिहाई (63 फीसदी) करीब 25 करोड़ बच्चे अपने अभिभावकों या देखरेख करने वालों के द्वारा शारीरिक दंड का सामना करते हैं.
डॉक्टर अंजा हेलेन ने इस संबंध में आगे बताया है कि शारीरिक दंड देना अप्रभावी और नुकसानदेह है तथा इससे बच्चों और उनके परिवार को कोई लाभ नहीं मिलता है।” उन्होंने कहा, ‘‘ हम शारीरिक दंड और व्यवहार संबंधी दिक्कतों जैसे कि आक्रामकता के बीच एक संबंध देखते हैं.
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दुनिया के कई देशों में बच्चों के साथ मारपीट के चलन पर रोक है. स्कॉटलैंड और वेल्स समेत 62 देशों में इस तरह के चलन पर रोक है और इसका दायरा और बढ़ रहा है इंग्लैंड और नदर्न आयरलैंड सहित कई देशों में बच्चों को शारीरिक दंड देने पर रोक लगाने की मांग तेज हो रही है.
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इस अध्ययन से साफ पता चलता है कि शारीरिक दंड, उनके साथ की जाने वाली मारपीट उनके स्वभाव को बदलता है जो नकारात्मक है. इससे उनका व्यवहार, स्वभाव और खराब हो जाता है.