सुप्रीम कोर्ट ने आज लाल किला हमला मामले में दायर रिव्यू पिटीशन को खारिज कर दिया है और इस हमले के दोषी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की फांसी की सजा को बरकरार रखा है.
सुप्रीम कोर्ट ने अशफाक को फांसी की सजा सुनाई थी
गौरतलब है कि साल 2000 में हुए लाल किला हमला मामले में दी गई मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा और अशफाक की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. वर्ष 2000 में 22 दिसंबर को लाल किले पर आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा ने हमला किया था. इस हमले में तीन लोगों की मौत हुई थी, जिसमें दो लोग सेना के थे. 2005 में सुप्रीम कोर्ट ने अशफाक को फांसी की सजा सुनाई थी. 2011 में उसकी दया याचिका खारिज हुई थी. जिसके बाद अशफाक ने रिव्यू पिटीशन दायर किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा अपना फैसला
इस हमले में सेना के दो जवान सहित तीन लोग मारे गये थे. फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की एक पीठ ने कहा कि उसने इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड पर विचार करने के आवेदन को स्वीकार किया है. पीठ ने कहा, हम उस आवेदन को स्वीकार करते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड पर विचार किया जाना चाहिए. वह दोषी साबित हुआ है. हम इस अदालत द्वारा किए गए फैसले को बरकरार रखते हैं और पुनर्विचार याचिका खारिज करते हैं.
ऐसे हुआ था हमला
22 दिसंबर 2000 की रात करीब नौ बजे भारतीय सेना की राजपूताना राइफल्स के बेस कैंप पर हमला किया था. यह हमला लाइट एंड साउंड प्रोग्राम के बाद किया गया था. इस हमले में तीन लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से दो सैनिक थे. कैंप के अंदर से उठी गोलियों की आवाज से पूरे इलाके में दहशत का माहौल बन गया था. सुप्रीम कोर्ट ने सेना के कैंप पर हमले को बड़ा अपराध माना था और इसके लिए आतंकवादी संगठन के अशफाक को फांसी की सजा सुनायी थी.