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Thursday, March 28, 2024

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सेना की जमीन पर बनाई जा सकेंगी आम सड़कें, 250 साल पुराने नियमों में बदलाव करने की तैयारी में सरकार

देश की अंग्रेजी हुकूमत ने वर्ष 1765 में सेना के इस्तेमाल के लिए जमीन से जुड़ी नीति तैयार की थी. ब्रिटश राज के दौरान बंगाल के बैरकपुर में सेना के लिए पहली छावनी बनाने के बाद इसके नियमों में अभी तक किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है.

नई दिल्ली : सेना की जमीन पर मेट्रो लाइन बिछाने, आम सड़कों और फ्लाइ ओवरों का निर्माण कराया जा सकेगा. इसके लिए सरकार करीब ढाई सौ साल पुराने अंग्रेजों के जमाने के नियमों में बदलाव करने की तैयारी में है. रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले से मनी कंट्रोल ने खबर दी है कि मेट्रो और रेलवे लाइन, सड़कें और फ्लाई ओवरों के निर्माण के लिए सेना की जमीन का इस्तेमाल किया जा सकेगा.

दरअसल, देश की अंग्रेजी हुकूमत ने वर्ष 1765 में सेना के इस्तेमाल के लिए जमीन से जुड़ी नीति तैयार की थी. ब्रिटश राज के दौरान बंगाल के बैरकपुर में सेना के लिए पहली छावनी बनाने के बाद इसके नियमों में अभी तक किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है. ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर जनरल इन काउंसिल ने अप्रैल 1801 में आदेश दिया था कि छावनी में किसी भी बंगले का क्वार्टर ऐसे व्यक्ति को बेचने की अनुमति नहीं होगी, जो सेना से जुड़ा हुआ नहीं होगा. अब केंद्र की मोदी सरकार ब्रिटिश राज के इस पुराने नियमों में बदलाव करने जा रही है.

सैन्य प्राधिकरण की कमेटी तय करेगी कीमत

मनी कंट्रोल की खबर के अनुसार, सेना की जमीन का सार्वजनिक परियोजनाओं के इस्तेमाल के सरकार की ओर से नए नियमों की स्वीकृति दी गई है, जो सशस्त्र बलों के लिए समान मूल्य अवसंरचना विकास (ईवाईआईडी) की अनुमति देते हैं. नए नियमों के अनुसार, छावनी इलाके के तहत आने वाली जमीन की कीमत संबंधित सैन्य प्राधिकरण की अगुआई में गठित कमेटी तय करेगी. इसके साथ ही, सेना से जुड़ी जमीन को समान कीमत पर देने के बदले या बाजार कीमत के भुगतान पर लिया जा सकता है.

विकास की आठ परियोजनाओं की पहचान

नए नियम के तहत, सरकार की ओर से विकास के लिए आठ ऐसी परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिससे समान मूल्य अवसंचरना विकास के लिए निर्माण कार्य कराया जा सकेगा. इसमें कहा गया है कि छावनी क्षेत्र में आने वाली जमीन की कीमत संबंधित सैन्य प्राधिकरण की अगुआई वाली एक कमेटी तय करेगी. इसके अलावा, छावनी क्षेत्र के बाहर की जमीन की कीमत जिले के मजिस्ट्रेट की ओर से तय की जाएगी.

सरकार का मसौदा तैयार

रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले से दी गई खबर के अनुसार, रक्षा मौद्रीकरण कोष के गठन के लिए सरकार की ओर से एक मसौदा तैयार किया गया है, जिस पर विचार-विमर्श करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों को भेजा गया है. मंत्रालयों की ओर से इस पर जल्द ही अंतिम फैसला लिया जा सकता है. इसके बाद इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास मंजूरी के लिए रखा जाएगा.

जमीन के बदले देनी होगी जमीन

मनी कंट्रोल ने लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग (रिटायर्ड) के हवाले से लिखा है कि सेना के पास देश भर में महत्वपूर्ण स्थानों पर जमीन है. राजनेता और शहरी अधिकारी बरसों से इस जमीन का इस्तेमाल विकास से जुड़ी गतिविधियों के लिए मांग करते आ रहे हैं. ऐसा लगता है कि अब यह हो रहा है. उन्होंने कहा कि अगर सेना इस जमीन का इस्तेमाल नहीं कर रही, तो इसे बेचा जा सकता है, लेकिन इसके बदले में वैकल्पिक जमीन देनी होगी.

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Posted by : Vishwat Sen

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