31.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

उत्तराखंड में धंस रही है जमीन, टूट रहे घर, विशेषज्ञ से जानें क्या है कारण

उत्तराखंड के जोशीमठ में कुछ समय से तबाही का मंजर दिखना शुरू हो चुका है. यहां दीवारों में दरार आने के साथ ही जमीन भी धंसनी शुरू हो गयी है. इस समस्या को देखते हुए उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक हाई लेवल मीटिंग भी बुलाई है.

Uttarakhand News: उत्तराखंड के जोशीमठ में कुछ समय से तबाही का मंजर पने चरम सीमा पर है. बता दें वहां सड़कें खुद धंस जा रही है और घरों की दीवारें भी अपने आप ही टूट जा रही है. इस मामले पर उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई है. इस मीटिंग में कई तरह के जरूरी फैसले भी लिए जा सकते हैं. जोशीमठ में हो रहे इस तबाही पर वाडिया हिमालय भूविज्ञान संसथान के निदेशक कलाचंद सेन ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. चलिए इस मामले में उनका क्या कहना है विस्तार से जानते हैं.

कलाचंद सेन ने दी प्रतिक्रिया

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के निदेशक कलाचंद सेन ने कहा कि मानवजनित और प्राकृतिक दोनों कारणों से जोशीमठ में जमीन धंस रही है. उन्होंने कहा कि ये कारक हाल में सामने नहीं आये हैं, बल्कि इसमें बहुत लंबा समय लगा है.

तीन प्रमुख कारक जोशीमठ की नींव कर रहे कमजोर

कलाचंद सेन ने कहा- तीन प्रमुख कारक जोशीमठ की नींव को कमजोर कर रहे हैं. यह एक सदी से भी पहले भूकंप से उत्पन्न भूस्खलन के मलबे पर विकसित किया गया था, यह भूकंप के अत्यधिक जोखिम वाले ‘जोन-पांच’ में आता है और पानी का लगातार बहना चट्टानों को कमजोर बनाता है.

1886 में पहली बार इस स्थिति के बारे में लिखा गया

कलाचंद सेन ने कहा- एटकिन्स ने सबसे पहले 1886 में ‘हिमालयन गजेटियर’ में भूस्खलन के मलबे पर जोशीमठ की स्थिति के बारे में लिखा था. यहां तक कि मिश्रा समिति ने 1976 में अपनी रिपोर्ट में एक पुराने ‘सबसिडेंस जोन’ पर इसके स्थान के बारे में लिखा था.

इस वजह से घरों में आयी दरार

सेन ने कहा कि हिमालयी नदियों के नीचे जाने और पिछले साल ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ़ के अलावा भारी बारिश ने भी स्थिति और खराब की होगी. उन्होंने कहा कि चूंकि जोशीमठ बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब और औली का प्रवेश द्वार है, इसलिए शहर के दबाव का सामना करने में सक्षम होने के बारे में सोचे बिना क्षेत्र में लंबे समय से निर्माण गतिविधियां चल रही हैं. उन्होंने कहा कि इससे भी वहां के घरों में दरारें आई हों.

कस्बे में कई घरों के सुरक्षित रहने की संभावना नहीं

कलाचंद सेन ने कहा- होटल और रेस्तरां हर जगह बनाये जा रहे हैं. आबादी का दबाव और पर्यटकों की भीड़ का आकार भी कई गुना बढ़ गया है. उन्होंने कहा- कस्बे में कई घरों के सुरक्षित रहने की संभावना नहीं है. इन घरों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए, क्योंकि जीवन अनमोल है. (भाषा इनपुट के साथ)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें