नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में चार दोषियों को फांसी देने पर रोक लगाने वाले निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार की याचिका पर शनिवार को चारों दोषियों से जवाब मांगा.
अदालत रविवार को याचिका पर सुनवाई करेगी. न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने चारों दोषियों मुकेश कुमार, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय सिंह को नोटिस जारी किया. अदालत ने महानिदेशक (कारावास) और तिहाड़ जेल के अधिकारियों को भी नोटिस भेजकर केंद्र सरकार की याचिका पर उनका रुख पूछा.
महानिदेशक (कारावास) के वकील ने अदालत को बताया कि उसके आदेश का पालन किया जाएगा. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि निर्भया मामले में दोषियों ने कानून की प्रक्रिया का मजाक बना दिया है और फांसी को टालने में लगे हैं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय आज दोपहर बाद तीन अलग-अलग, लेकिन एक जैसी याचिकाओं के साथ उच्च न्यायालय पहुंचा और चारों दोषियों की फांसी पर ‘अगले आदेश तक’ रोक के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी.
मेहता ने शत्रुघन चौहान मामले में उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व के आदेश का जिक्र किया जिसमें कहा गया था कि दोषी को एक बार यदि उसकी मौत के बारे में सूचना दे दी जाती है तो बिना विलंब फांसी होनी चाहिए, अन्यथा इसका दोषी पर अमानवीय प्रभाव पड़ेगा.
दोषियों को आज एक फरवरी, शनिवार को फांसी दी जानी थी, लेकिन रोक के बाद यह टल गई. मेहता ने कहा कि इस मामले को देश के इतिहास में एक ऐसे मामले के रूप में जाना जाएगा जिसमें जघन्य अपराध के दोषियों ने देश के धैर्य की परीक्षा लेने की कोशिश की.
उन्होंने कहा कि दोषी न केवल न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं, बल्कि हर किसी के धैर्य की परीक्षा भी ले रहे हैं. न्यायाधीश ने जब यह पूछा कि दोषियों की तरफ से कौन पेश हो रहा है, मेहता ने कहा कि तिहाड़ जेल में उनके संबंध में याचिका तामील की गई, लेकिन उनकी ओर से अदालत में कोई पेश नहीं हुआ.