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”आतंकवाद पाकिस्तान की सरकारी नीति, भारत में हिंसा फैलाना मुख्य उद्देश्य”

नयी दिल्ली : विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह भारत के अंदरूनी मामलों के बारे में पाक नेतृत्व के अति गैर-जिम्मेदाराना बयानों की कड़ी निंदा करता है, साथ ही उम्मीद करता है कि पाकिस्तान, भारत में हिंसा उकसाना, आतंकवाद फैलाना और घुसपैठ कराना बंद करके सामान्य पड़ोसी जैसी व्यवहार करेगा. विदेश मंत्रालय के […]

नयी दिल्ली : विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह भारत के अंदरूनी मामलों के बारे में पाक नेतृत्व के अति गैर-जिम्मेदाराना बयानों की कड़ी निंदा करता है, साथ ही उम्मीद करता है कि पाकिस्तान, भारत में हिंसा उकसाना, आतंकवाद फैलाना और घुसपैठ कराना बंद करके सामान्य पड़ोसी जैसी व्यवहार करेगा.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने संवादाताओं से कहा, हम भारत के अंदरूनी मामलों के बारे में पाक नेतृत्व के अति गैर-जिम्मेदाराना बयानों की कड़ी भर्त्सना करते हैं. ऐसे भड़काऊ बयान आ रहे हैं जिसमें भारत में हिंसा को उकसाना और जिहाद का आह्वान करना शामिल है. जम्मू कश्मीर को लेकर पाकिस्तान से आने वाले बयानों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से 40-50 बयान आ गये हैं. ये ऐसे बयान हैं जो बेहद गैर जिम्मेदाराना हैं. इनका मकसद क्षेत्र में गंभीर स्थिति का माहौल पेश करना है. कुमार ने कहा कि वे (पाकिस्तानी नेतृत्व) मामले को तुल देना चाहते हैं ताकि दुनिया को लगे कि कुछ हो रहा है. लेकिन वास्तव में स्थिति अलग है, ऐसा कुछ हो ही नहीं रहा है. उनकी ओर से जो भी कहा जा रहा है, वह झूठ और मनगढ़ंत है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक सवाल के जवाब में कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को सरकारी नीति के हिस्सा के रूप में इस्तेमाल कर रहा है. हमने इस बारे में अपनी चिंताओं से अवगत कराया है. हमें खबर मिली है कि पाकिस्तान आतंकियों को घुसपैठ कराने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवादियों पर ठोस कार्रवाई करे ताकि वे दोबारा सीमापर घुसपैठ नहीं कर सके और आतंकवाद को जड़ से समाप्त करना पाकिस्तान का दायित्व भी है. कुमार ने कहा, हम चाहते हैं कि पाकिस्तान आतंकवादियों की घुसपैठ नहीं कराये बल्कि सामान्य पड़ोसी की तरह व्यवहार करे. सामान्य पड़ोसी ऐसा व्यवहार नहीं करते हैं जैसा कि पाकिस्तान कर रहा है. एक अन्य सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा यूएनएचआरसी को लिखे पत्र को भारत महत्व नहीं देना चाहता.

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