UP Tiger Death in Dudhwa: यह बात हैरत की है कि जंगल में न शिकार की कमी है. न ही पानी की. बावजूद इसके बाघ जैसे बड़े जानवर भूख और प्यास से मर रहे हैं. एक माह में ऐसी दो घटनाओं ने जानकारों को भी अचंभे में डाल दिया है. खास बात है कि जान गंवाने वाले बाघ युवा होकर भी शिकार के लायक नहीं थे. आईवीआरआई की रिपोर्ट के बाद एक्सपर्ट अब इसका कारण तलाशेंगे और एनटीसीए भी इस पर नजर बनाए है. खीरी जिले में स्थित दुधवा नेशनल पार्क काफी हरा भरा है. यहां शाकाहारी पशुओं के लिए फूड चेन है. पेयजल के लिए नदी है इसके अलावा वाटर होल भी तैयार किए गए हैं. मांसाहारी पशुओं के लिए भी पर्याप्त शिकार की व्यवस्था है. इसके बाद भी दुधवा टाइगर रिजर्व में हाल फिलहाल में बाघों की मौत का जो कारण सामने आ रहा है , उससे पार्क प्रशासन भी दंग है. दुधवा टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल करीब 884 हेक्टेयर है. इसके बाद भी कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं , जिनमें बाघ न सिर्फ कमजोर और बीमार मिले हैं , साथ ही भूखे भी. दुधवा टाइगर रिजर्व के बफर जोन में 21 अप्रैल और 3 जून को हुई दो बाघों की मौत के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ. 21 अप्रैल को बाघ ने वन विभाग की टीम के सामने ही दम तोड़ दिया. वह भी शिकार करने में अक्षम था. इसके बाद तीन जून को मैलानी रेंज में मरी बाघिन के पेट में पानी तक नहीं मिला था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया है कि यह दोनो बाघ काफी कमजोर थे. भूखे थे. शिकार नहीं कर पा रहे थे. एक्सपर्ट भी इस बात की तलाश कर रहे हैं कि आखिर बाघ कमजोर क्यों हुए.
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UP Tiger Death in Dudhwa: बाघों की मौत को लेकर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चौकाने वाला खुलासा
UP Tiger Death in Dudhwa: जंगल में न शिकार की कमी है. न ही पानी की. बावजूद इसके बाघ जैसे बड़े जानवर भूख और प्यास से मर रहे हैं. एक माह में ऐसी दो घटनाओं ने जानकारों को भी अचंभे में डाल दिया है. खास बात है कि जान गंवाने वाले बाघ युवा होकर भी शिकार के लायक नहीं थे.
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Prabhat Khabar Digital Desk
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