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AIMPLB बोला- UCC गैरजरूरी और अस्वीकार्य, कई मामलों में शरियत से टकराव, विधि आयोग को भेजा 100 पेज का प्रस्ताव

ऑल इंडिया मु​स्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफउल्लाह रहमानी ने कहा कि समान नागरिक संहिता देशहित में भी नहीं है, क्योंकि भारत विभिन्न धर्मों और विभिन्न संस्कृतियों का एक गुलदस्ता है और यही विविधता इसकी सुंदरता है. धार्मिक नजरिये से मुसलमानों के लिए यह बिल्कुल अस्वीकार्य है.

Lucknow: ऑल इंडिया मु​स्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को गैरजरूरी बताते हुए कहा है कि लोगों की इसकी चाहत नहीं है. बोर्ड की ऑनलाइन बैठक में बुधवार को यूसीसी पर गहन चर्चा हुई.

इस दौरान सदस्यों ने लीगल कमेटी की ओर से तैयार किये गए बोर्ड के 100 पेज के प्रस्ताव को विधि आयोग में दाखिल किया. प्रस्ताव में 21वें विधि आयोग की प्रतिक्रिया व रिपोर्ट, मौजूदा नागरिक कानूनों का हवाला देकर समान नागरिक संहिता को सभी धर्म के लोगों को नुकसान पहुंचाने वाला और गैरजरूरी करार दिया. बोर्ड ने समान नागरिक संहिता को चुनावी मुद्दा बताते हुये इसका लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने की बात भी कही.

AIMPLB के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफउल्लाह रहमानी की अध्यक्षता में बुलाई गई ऑनलाइन बैठक में देश भर से करीब 200 सदस्य शामिल हुए. इस दौरान बोर्ड की लीगल कमेटी की ओर से तैयार किये गये करीब 100 पेज के प्रस्ताव पर चर्चा की गई.

Also Read: UCC पर AIMPLB बोला- धार्मिक स्वतंत्रता पर पहुंचाई जा रही चोट, लोगों से विरोध की अपील, क्यूआर कोड जारी

बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफउल्लाह रहमानी ने कहा कि एक मुसलमान जो नमाज, रोजा, हज और जकात के मामलों में शरीयत के नियमों का पालन करने के लिए पाबंद है. उसी प्रकार हर मुसलमान के लिए सामाजिक मामले निकाह व तलाक, खुला, इद्दत, मीरास, विरासत आदि में भी शरीयत के नियमों का पालन करते रहना अनिवार्य है.

मौलाना खालिद सैफउल्लाह रहमानी ने कहा कि मुसलमानों ने हमेशा से चाहा कि उनको सियासत में हिस्सा मिले या न मिले, सरकारी नौकरी मिले न मिले लेकिन शरियत पर अमल करने से न रोका जाए. उन्होंने कहा कि सरकार के समक्ष समान नागरिक संहिता की प्रस्तावित रूपरेखा से कई मामलों में शरियत के पारिवारिक मामलों से टकराती है, इसलिए धार्मिक नजरिये से मुसलमानों के लिए यह बिल्कुल अस्वीकार्य है.

उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता देशहित में भी नहीं है, क्योंकि भारत विभिन्न धर्मों और विभिन्न संस्कृतियों का एक गुलदस्ता है और यही विविधता इसकी सुंदरता है, अगर इस विविधता को समाप्त कर दिया गया और उन पर एक ही कानून लागू किया गया तो यह आशंका है कि राष्ट्रीय एकता प्रभावित होगी. उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता का लोकतांत्रक तरीके से विरोध किया जाएगा.

Sanjay Singh
Sanjay Singh
working in media since 2003. specialization in political stories, documentary script, feature writing.

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