9.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Tungnath Temple: पांडवों ने किया था इस प्राचीन मंदिर का निर्माण, जानिए इसका महत्व और इतिहास

Tungnath Temple: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव का प्राचीन धाम है. पंच केदार में से एक इस मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है. तो चलिए आज आपको बताते हैं इस मंदिर का धार्मिक महत्व और इतिहास.

Tungnath Temple: सावन का पवित्र महीना चल रहा है. यह महीना भगवान शिव की आराधना के लिए खास होता है. सावन में भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इस दौरान श्रद्धालु प्राचीन और दिव्य शिव मंदिरों में दर्शन करने के लिए जाते हैं. भारत में कई ऐसे प्राचीन शिव मंदिर और ज्योतिर्लिंग है, जहां सावन के दौरान भक्तों की भीड़ उमड़ती है. सावन में शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विशेष महत्व है.

अगर आप भी सावन के इस पवित्र महीने में भगवान शिव के प्राचीन और दिव्य मंदिर में पूजा-अर्चना करना चाहते हैं. तो जरूर आएं देवभूमि उत्तराखंड में स्थित दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर, तुंगनाथ मंदिर.

Also Read: Tarkeshwar Temple: अचला संरचना और बंगाल शैली में बना है यह प्राचीन शिवालय, जानिए क्या है महत्व

Sawan 2024: क्या है तुंगनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व

उत्तराखंड में स्थित तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक अति प्राचीन मंदिर है. भगवान शिव का यह पवित्र धाम रूद्रप्रयाग जिले में एक ऊंचे पर्वत पर स्थित है. भगवान शंकर का यह विश्व प्रसिद्ध मंदिर पंच केदारों में से एक है, जो चारों ओर से बर्फ से ढका हुआ रहता है. इस दिव्य मंदिर को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं.

सावन के मौके पर भगवान शिव के इस पवित्र और दिव्य धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. तुंगनाथ पर्वत पर स्थित इस मंदिर की ऊंचाई 3640 मीटर है, जो पंच केदारों में सबसे ऊंचा है. उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित भगवान शिव का यह धाम हिमालय के सबसे सुंदर जगहों में से एक है.

Also Read: Sawan 2024 : सावन के तीसरी सोमवारी पर कैसे करें शिव जी को प्रसन्न, आप भी करें फॉलो

Sawan 2024: क्या है तुंगनाथ मंदिर का इतिहास

हजारों साल पुराने तुंगनाथ मंदिर का इतिहास काफी समृद्ध है. कहा जाता है महाभारत के दौरान कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण भोलेनाथ पांडवों से नाराज हो गए थे. इसी कारण देवाधिदेव महादेव को प्रसन्न करने के लिए पांडवों ने तुंगनाथ मंदिर का निर्माण किया था.

एक अन्य मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने इसी जगह भगवान शिव से विवाह करने के लिए तपस्या की थी. स्थानीय लोग मंदिर से जुड़ी एक और कथा बताते हैं कि भगवान राम ने रावण के वध के बाद इस जगह स्वयं को ब्रह्म हत्या के श्राप से मुक्त करने के लिए तपस्या की थी. यही कारण है इस स्थान को चंद्रशिला के नाम से भी जाना जाता है. तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक केंद्रों में से एक है.

Also Read: Sawan 2024: रहस्यमय है बिहार का मां मुंडेश्वरी धाम, अद्भुत है शिवलिंग का चमत्कार

जरूर देखें:

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें