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मोह को समाप्त करने का सरल मार्ग, अपनाएं भगवान श्रीकृष्ण के ये संदेश

Gita Updesh: गीता हमें उस शांति और संतुलन की ओर लौटने की प्रेरणा देती है, जो सच्ची खुशी और प्रेम का स्रोत है. इसके अलावा, गीता में लालच को आत्मविकास और मोक्ष की प्राप्ति में एक बड़ी रुकावट बताया गया है. भगवद गीता में मोह का त्याग करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने कई महत्वपूर्ण उपदेश दिए हैं.

Gita Updesh: श्रीमद्भगवद्गीता सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन को समझने और जीने का एक अद्भुत मार्गदर्शन है. यह हमें सिखाती है कि जीवन के कठिन समय में भी बिना किसी स्वार्थ के कर्म करना चाहिए और इसके परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए. गीता का संदेश निष्काम कर्म, आत्मज्ञान और ईश्वर में विश्वास है. आज का मानव बाहरी दुनिया में इतना उलझा हुआ है कि वह अपनी आंतरिक शांति खो बैठा है. गीता हमें उस शांति और संतुलन की ओर लौटने की प्रेरणा देती है, जो सच्ची खुशी और प्रेम का स्रोत है. इसके अलावा, गीता में लालच को आत्मविकास और मोक्ष की प्राप्ति में एक बड़ी रुकावट बताया गया है. भगवद गीता में मोह का त्याग करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने कई महत्वपूर्ण उपदेश दिए हैं. मोह का अर्थ है भावनाओं या पदार्थों के प्रति अत्यधिक लगाव, जो व्यक्ति को अपने लक्ष्य से भटकाता है. गीता में भगवान ने इसे न केवल मानसिक विकार, बल्कि आत्मज्ञान की राह में सबसे बड़ी बाधा माना है.

समत्व और निष्काम कर्म

भगवान श्री कृष्ण ने कर्म योग का उपदेश दिया, यानी निष्काम कर्म . जब हम अपने कार्यों को फल की अपेक्षा के बिना, केवल धर्म और कर्तव्य के रूप में करते हैं, तो हमारा मोह और अहंकार कम हो जाता है.

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विराग और वैराग्य

भगवान श्री कृष्ण ने मोह का त्याग करने के लिए विराग (प्रेम और आकर्षण से हटना) और वैराग्य (पदार्थों से आसक्ति का त्याग) का उपदेश दिया है. जब व्यक्ति के मन से मोह और भ्रम मिट जाते हैं, तब उसकी बुद्धि स्थिर हो जाती है, और वह अपनी आत्मा को पहचान सकता है. मोह से मुक्त होने के लिए बाहरी जगत की चीजों से अपनी मानसिक आसक्ति को छोड़ना आवश्यक है.

ध्यान और साधना

गीता उपदेश में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि ध्यान और साधना के माध्यम से भी मोह का त्याग करने का मार्ग बताया है. नियमित साधना से व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित कर सकता है और मोह को समाप्त कर सकता है. हमें अपने आत्म को नियंत्रित करना चाहिए, क्योंकि आत्मा ही परमात्मा का अंश है. अगर हम अपनी आत्मा को सच्चे ज्ञान और ध्यान से जागृत करते हैं, तो मोह का त्याग संभव हो जाता है.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह से इनकी पुष्टि नहीं करता है.

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