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13 सितंबर को World Sepsis Day: छोटा-सा इंफेक्शन भी हो सकता है जानलेवा, जानें इसके लक्षण और उपाय

शरीर में कभी-कभी कोई छोटी-सी चोट या इंफेक्शन इतना सीरियस हो जाता है कि मरीज की जान तक चली जाती है. सेप्सिस ऐसी ही एक जानलेवा स्थिति है, जिसके बारे में जानना बहुत जरूरी है, तो आइए जानते हैं इसके लक्षण और उपाय के बारें में विस्तार से...

World Sepsis Day: सामान्य तौर पर किसी इंफेक्शन के दौरान शरीर से कुछ केमिकल मेसेंजर्स (जैसे प्रोस्टाग्लैंडिन्स) खून में रिलीज होते हैं, जिससे बीमारी फैलाने वाले पैथोजन पैदा न हो सकें. सेप्सिस तब होता है, जब शरीर इन केमिकल्स को ठीक से रिस्पॉन्ड नहीं कर पाती और ये कंट्रोल से बाहर होकर बॉडी को ही डैमेज करने लगते हैं. इस स्थिति में मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर या शरीर को काफी नुकसान हो सकता है. अगर कंडिशन सेप्टिक शॉक तक पहुंच जाये, तो मरीज का ब्लड प्रेशर काफी नीचे पहुंच जाता है और मरीज की मौत तक हो सकती है.

क्या हैं सेप्सिस के लक्षण

  • शरीर में इंफेक्शन जैसे निमोनिया, घाव से पस निकलना, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन आदि.

  • यदि शरीर का तापमान 100.94 डिग्री फॉरनेहाइट से ज्यादा हो.

  • बेचैनी, दिमागी अस्थिरता

  • ब्लड प्रेशर में बार-बार उतार-चढ़ाव होना.

  • 90 बीट्स पर मिनट से ज्यादा हार्ट रेट.

  • तेज-तेज सांसें चलना.

  • शुरुआत में मरीज की स्किन गर्म और लाल दिखती है, लेकिन मर्ज बढ़ने के साथ स्किन काफी ठंडी हो जाती है.

  • यूरिन कम आना या पूरे दिन यूरिन न आना.

क्या हैं सेप्सिस की वजह

एक स्टडी के मुताबिक, सेप्सिस मरीजों में स्वांस नली में होने वाले इंफेक्शन में सबसे ज्यादा पाया जाता है. दूसरी प्रमुख वजहों में इंट्रा-एब्डॉमिनल इंफेक्शन (पेट में होने वाले), ब्लड इंफेक्शन, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, स्किन इंफेक्शन, गायनेकॉलजिकल इंफेक्शन, हड्डी और जोड़ों का इंफेक्शन और कई अनजाने स्रोतों से होने वाले इंफेक्शन की स्थिति में होता है.

किनको रहता है ज्यादा खतरा

  • बहुत छोटे बच्चे या बुजुर्ग

  • जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो

  • डायबीटीज के मरीज

  • पहले हॉस्पिटलाइजेशन हो चुका हो

  • स्टेरॉइड्स या बहुत एंटीबायॉटिक्स लेने वाले

क्या है सेप्सिस का उपचार

अगर मरीज को बुखार के साथ इंफेक्शन है, तेज सांस चल रही है और ब्लड प्रेशर तेजी से गिर रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. खासतौर पर अगर मरीज रिस्क फैक्टर्स के अंदर आता हो तो सतर्क रहना चाहिए. समस्या ज्यादा क्रिटिकल हो तो मरीज को तुरंत आइसीयू में एडमिट करना पड़ सकता है.

सेप्सिस से कैसे करें बचाव

  • फ्लू, निमोनिया और ऐसे दूसरे अन्य इंफेक्शंस से बचाव के लिए आप वैक्सीन जरूर लगवाएं.

  • हाइजीन रखें, घाव होने पर लापरवाही न करें, रोजाना नहाएं और खाने से पहले हाथ जरूर धोएं.

  • इंफेक्शन का डाउट हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

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