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World Kidney Day Today : बढ़ रही है बीमारी, पर मरीजों की संख्या के मुताबिक बिहार में नहीं हैं डॉक्टर

बिहार में किडनी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इसके बावजूद इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि राज्य में किडनी के कितने मरीज हैं. एक अनुमान के मुताबिक यह संख्या लाखों में है.

आइजीआइएमएस में पिछले तीन वर्षों में हुए हैं 70 किडनी ट्रांसप्लांट

पटना : राज्य में किडनी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इसके बावजूद इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि राज्य में किडनी के कितने मरीज हैं. एक अनुमान के मुताबिक यह संख्या लाखों में है.

इसके ज्यादातर मरीजों को बेहतर विशेषज्ञ चिकित्सकों से इलाज कराने की सुविधा भी नहीं मिल पाती है. राज्य में नेफ्रोलॉजी या किडनी रोग में डीएम की डिग्री प्राप्त सिर्फ 10 डॉक्टर हैं. इनमें से पटना के बाहर मुजफ्फरपुर में एक हैं और शेष सभी पटना में हैं. मरीजों की संख्या को देखते हुए डीएम डिग्री प्राप्त डॉक्टरों की यह संख्या ऊंट के मुंह में जीरा कहावत की तरह ही है.

किडनी मरीजों की संख्या कितनी तेजी से बढ़ रही है इसे इस बात से समझा जा सकता है कि आइजीआइएमएस पटना की ओपीडी में नवंबर 2019 में किडनी रोग के कुल 3164 मरीज आएं, इनमें से 930 नये मरीज थे. वहीं दिसंबर 2019 में यहां कुल 2633 मरीज आएं जिनमें से 890 नये मरीज थे. यह सिर्फ एक अस्पताल का आंकड़ा है. राज्य भर के दूसरे बड़े अस्पतालों के आंकड़े ही मौजूद नहीं है.

जिन मरीजों की किडनी फेल हो चुकी होती है उन्हें डॉक्टर ट्रांसप्लांट कराने की सलाह देते हैं, ऐसा नहीं होने पर डायलेसिस करना उनकी मजबूरी बन जाती है. लेकिन राज्य में किडनी ट्रांसप्लांट का हाल ये है कि अभी सरकारी में सिर्फ आइजीआइएमएस पटना और पटना के एक निजी अस्पताल में भी यह हो रहा है.

बिहार के सबसे बड़े और पुराने अस्पताल पीएमसीएच में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं है. आइजीआइएमएस में तीन वर्ष में सिर्फ 70 ट्रांसप्लांट हुए हैं. यानी महीने में औसतन दो ट्रांसप्लांट यहां होते हैं, निजी अस्पताल में भी यही स्थिति है. जबकि लाखों की संख्या में बिहार में ऐसे मरीज हैं जिन्हें ट्रांसप्लांट की जरूरत है.

बचाव पर अधिक ध्यान देने की है जरूरत

किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ ओम कुमार कहते हैं कि इस वर्ष वर्ल्ड किडनी डे का स्लोगन है इसके प्रति जागरूकता की बात करता है. स्लोगन कहता है कि हर जगह और हर व्यक्ति को किडनी रोग से बचाना है, इसके लिए रोग की पहचान जरूरी है. समाज में आज भी किडनी रोगों के प्रति जागरूकता की काफी कमी है. यही कारण है कि लोग समय पर ध्यान नहीं देते और बीमारी जब बढ़ जाती है तब डॉक्टर के पास आते हैं.

इन कारणों से हो रही है किडनी फेल

आइजीआइएमएस में वरीय किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ ओम कुमार कहते हैं कि किडनी फेल होने का सबसे बड़ा कारण डायबिटीज और हाइपर टेंशन है. इसलिए नियमित रूप से अपना शूगर और बीपी चेक करवाते रहें. अगर परिवार में किडनी रोगों की कोई हिस्ट्री हो तो विशेष सावधानी की जरूरत है.

डॉक्टर की सलाह से यूरिया क्रिटीनीन की जांच भी समय- समय पर करवाते रहने चाहिए. अनावश्यक रूप से कोई भी दवाई नहीं खाएं. दवा हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही खाएं. अगर आयुर्वेदिक दवा खाते हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से ही लें, झोला छाप की बतायी दवा नहीं खाएं. कई बार गलत आयुर्वेदिक दवा खाने से भी किडनी फेल हो जाती है.

वह कहते हैं कि किडनी की बीमारी जिन्हें पकड़ में आ जाती है उन्हें रोजाना पानी या कोई भी तरल पदार्थ लेने की मात्रा डॉक्टर की सलाह से ही तय करनी चाहिए. जरूरत से ज्यादा यह लेने पर उन्हें नुकसान पहुंच सकता है. इसके साथ ही किडनी की बीमारी और इसके कारण होने वाली मौत से बचना चाहे तो स्मोकिंग बिल्कुल छोड़ दें. क्योंकि किडनी रोग में मौत का सबसे बड़ा कारण हृदय रोग या हर्ट अटैक होता है और स्मोकिंग के कारण हर्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. हमे समझना होगा कि शरीर के सभी अंग एक-दूसरे से जुड़े हैं. एक में समस्या आती है तो दूसरा भी प्रभावित हो सकता है.

ट्रांसप्लांट में कितना आता है खर्च

किडनी ट्रांसप्लांट में निजी अस्पतालों में खर्च करीब आठ से दस लाख रुपये आता है. वहीं आइजीआइएमएस जैसे सरकारी अस्पताल में इसका खर्च करीब डेढ़ से दो लाख रुपये आता है. जिन अस्पतालों में यह सुविधा मौजूद है वहां भी क्षमता से काफी कम ट्रांसप्लांट हो रहे हैं. इसका कारण किडनी डोनर की कमी और इसमें आने वाला लाखों का खर्च है. वहीं जो मरीज डायलेसिस करवाते हैं उन्हें सप्ताह में करीब दो बार डायलेसिस करवाना पड़ता है. इसमें उनका करीब 25 से 30 हजार रुपये महीना खर्च होता है.

बरतें सावधानी, किडनी रोग के ये हैं शुरुआती लक्षण

पीएमसीएच में किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ हर्ष वर्द्धन मानते हैं कि बताते हैं कि किडनी की बीमारी शूगर, बीपी या पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को अधिक होती है. ऐसे में इसका शुरुआती लक्षण है कि शरीर में सूजन हो जाती है. भूख कम लगती है और बार- बार उल्टी का एहसास होता है. शरीर में खून की कमी हो जाती है और पेशाब में अत्यधिक झाग आता है.

अगर ये सब लक्षण दिखता है तो तुरंत किडनी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलकर इलाज करवाना चाहिए. डाॅ हर्ष वर्द्धन कहते हैं कि किडनी रोग की शुरुआत में ही पहचान हो और बेहतर इलाज हो तो किडनी फेल होने से बच सकती है. ऐसे में किडनी रोग होने के बाद इलाज कराने से बेहतर है कि इस बीमारी को होने से ही रोक दिया जाये. थोड़ी सावधानी अपना कर आप अपनी किडनी को सुरक्षित रख सकते हैं.

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