Career Tips: 12वीं के बाद कॉमर्स स्ट्रीम के विद्यार्थियों को यह चिंता होने लगती है कि वे किस फील्ड में अपना करियर बनाएं और कई बार उन्हें अपनी रुचियों के बारे में भी पता लगाना मुश्किल हो जाता है. इसलिए किसी भी फील्ड का चुनाव करने से पहले उसके बारे में अच्छी तरह से जानकारी लेना बहुत जरूरी है, क्योंकि हर विषय में अलग-अलग करियर ऑप्शन होते हैं. आज हम आपको कॉमर्स के तीन अलग-अलग कोर्सेस के बारे में बताएंगे, जो सुनने में शायद एक जैसे लग सकते हैं, लेकिन वास्तव में एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं.
जानिए CA,CS CMA में क्या अंतर है?
अगर आपने 12वीं की पढ़ाई कॉमर्स स्ट्रीम से की है और भविष्य में इसी से जुड़े फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं, तो आपको CA, CS और CMA के बारे में जानना बहुत जरूरी है. ये तीनों कोर्स अकाउंटिंग, फाइनेंस और इससे जुड़े क्षेत्रों से संबंधित हैं. हालांकि, इन तीनों कोर्स की सैलरी, कार्यक्षेत्र और जिम्मेदारियां अलग-अलग होती हैं. आइए, हम आपको इनके बीच के अंतर के बारे में बताते हैं.
चार्टड अकाउंटेड (CA)
अगर आपने 12वीं की पढ़ाई कॉमर्स से की है और आप अपना करियर चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) में बनाना चाहते हैं तो आपको बता दें कि यह कोर्स फाइनेंस, ऑडिट और टैक्स मैनेजमेंट से संबंधित है.अगर आप इस क्षेत्र में रुचि रखते हैं और सीए बनना चाहते हैं तो इसके लिए आपको तीन चरणों को सफलतापूर्वक पूरा करना होगा.पहला चरण फाउंडेशन होता है, जिसे एंट्री-लेवल स्टेज भी कहा जाता है। विद्यार्थी 12वीं के बाद इस परीक्षा में बैठ सकते हैं. फाउंडेशन क्लियर करने के बाद, विद्यार्थी को इंटरमीडिएट लेवल में प्रवेश मिलता है. इस स्तर पर फाइनेंशियल और अकाउंटिंग प्रिंसिपल्स पर विशेष ध्यान दिया जाता है.पूरे कोर्स को पूरा करने में आमतौर पर 4 से 5 साल का समय लगता है, जिसमें आर्टिकलशिप भी शामिल होती है, जो एक अनिवार्य प्रशिक्षण प्रक्रिया है. यह कोर्स को करने के लिए आपको इंटीट्यूट चार्टर्ड अकाउंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) में एडमिशन लेना होगा.
कंपनी सेक्रेटरी (CS)
अगर विद्यार्थियों को कॉरपोरेट गवर्नेंस, लीगल कंप्लायंस और कंपनी से संबंधित अन्य मामलों को मैनेज करने में रुचि है तो वे कंपनी सेक्रेटरी (CS) का कोर्स कर सकते हैं. इस कोर्स में भी तीन लेवल शामिल होते हैं.पहला लेवल कंपनी सेक्रेटरी एग्जीक्यूटिव एंट्रेंस टेस्ट (CSEET) होता है, जिसे एंट्री-लेवल एग्जाम भी कहा जाता है.
दूसरा लेवल एग्जीक्यूटिव होता है, जो पूरी तरह से कॉरपोरेट लॉ और मैनेजमेंट पर आधारित होता है
तीसरा लेवल प्रोफेशनल होता है, जिसमें कॉरपोरेट गवर्नेंस, सेक्रेटरियल प्रैक्टिस और लॉ जैसे एडवांस टॉपिक शामिल होते हैं.इस लेवल में 21 महीने की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी शामिल होती है, जिसके दौरान विद्यार्थियों को किसी कॉरपोरेट फर्म में काम करना होता है. पूरे कोर्स को पूरा करने में लगभग 3 साल लगते हैं, जिसमें प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी शामिल होती है.यह कोर्स इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (ICSI) द्वारा कराया जाता है.
सर्टिफाइड मैनेजमेंट अकाउंटेंट (CMS)
अगर आपको मैनेजमेंट अकाउंटिंग और कॉस्ट मैनेजमेंट में रुचि है तो यह कोर्स आपके लिए बेहतर साबित हो सकता है, क्योंकि यह कोर्स पूरी तरह से इन्हीं विषयों पर केंद्रित होता है.यह कोर्स भी तीन लेवल में विभाजित है पहला लेवल फाउंडेशन होता है, जिसमें कॉस्ट अकाउंटिंग और फाइनेंशियल मैनेजमेंट के बारे में बाताया जाता है दूसरा लेवल इंटरमीडिएट होता है, जिसमें कॉस्ट एनालिसिस, बजट और फाइनेंस डिसीजन मेकिंग पर फोकस किया जाता है.तीसरा लेवल फाइनल होता है, जिसमें अकाउंटिंग मैनेजमेंट, स्ट्रैटेजिक कॉस्ट मैनेजमेंट और डिसीजन मेकिंग में विशेषज्ञता प्रदान की जाती है.इसके बाद 15 महीने से 3 साल तक की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग करनी होती है, जिसे फाइनल एग्जाम में बैठने से पहले पूरा करना अनिवार्य होता है.यह कोर्स 3 साल में पूरा होता है और इसे इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICMAI) द्वारा कराया जाता है.
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