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धनबाद के अस्पतालों में डॉक्टरों और संसाधनों का अभाव, आखिर कैसे होगा मरीजों का इलाज

जब क्षमता से ज्यादा मरीज एसएनएमएमसीएच पहुंचते हैं, तो यहां की चिकित्सा व्यवस्था चरमराने लगती है. इन दिनों यही हाल देखने को मिल रहा है. सदर अस्पताल, सीएचसी व पीएचसी की कौन कहे, एसएनएमएमसीएच में चिकित्सकों की काफी कमी है.

धनबाद, विक्की प्रसाद : तमाम प्रगति के बावजूद धनबाद में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली अभी भी कई चुनौतियों का सामना कर रही है. इसमें स्वास्थ्य कर्मियों की कमी और अपर्याप्त आधारभूत संरचना शामिल है. जिले में शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच), सदर अस्पताल के अलावा 38 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. एसएनएमएमसीएच में सामान्य रोगों से लेकर गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीज पहुंचते हैं. हाल के कुछ सालों में एसएनएमएमसीएच पर मरीजों की निर्भरता बढ़ी है. हालांकि मरीज और उनके परिजन यहां की व्यवस्थात्मक खामियों को लेकर नाराज दिखते हैं, पर उनके समक्ष कोई दूसरा विकल्प नजर नहीं आता. कारण- सीएचसी और पीएचसी में पर्याप्त चिकित्सा सुविधा नहीं मिलती है.

जब क्षमता से ज्यादा मरीज एसएनएमएमसीएच पहुंचते हैं, तो यहां की चिकित्सा व्यवस्था चरमराने लगती है. इन दिनों यही हाल देखने को मिल रहा है. सदर अस्पताल, सीएचसी व पीएचसी की कौन कहे, एसएनएमएमसीएच में चिकित्सकों की काफी कमी है. यहां धनबाद के अलावा आसपास के जिलों से भी मरीज आ रहे हैं. ऐसे में व्यवस्था पर दबाव बढ़ गया है. इमरजेंसी के बरामदे में स्ट्रेचर व अस्थायी बेड लगाकर मरीजों का इलाज करना पड़ रहा है. बावजूद घंटों बेड का इंतजार करना पड़ रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों के लाेगों के लिए आठ प्रखंडों में 38 पीएचसी व सीएचसी खोले गये हैं. लेकिन वहां भी संसाधनों व चिकित्सकों का अभाव है. ऐसे में राज्य सरकार और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से लोगों द्वारा सवाल करना लाजिमी है.

मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के 61 पद खाली

एसएनएमएमसीएच में डॉक्टरों के 189 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में 126 डॉक्टर ही कार्यरत हैं. अलग-अलग विभागों में 61 डॉक्टरों की कमी से पिछले कई वर्षों से एसएनएमएमसीएच जूझ रहा है. अस्पताल में कई विभाग हैं, जहां एक भी डॉक्टर की नियुक्ति नहीं है. जैसे-तैसे मरीजों का इलाज होता है.

महज 400 स्वास्थ्य कर्मी हैं कार्यरत

धनबाद के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों का भी टोटा है. एसएनएमएमसीएच की बात करें तो यहां स्वास्थ्य कमियों के 700 पद स्वीकृत हैं, जबकि वर्तमान में सरकारी व आउटसोर्स मिलाकर लगभग 400 कर्मी कार्यरत हैं. सदर अस्पताल में स्वीकृत 299 पदों के विरुद्ध सिर्फ 70 कर्मी लगाये गये हैं.

एसएनएमएमसीएच में बेड से कहीं अधिक मरीज हो रहे हैं भर्ती

जिले में 30 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व आठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं. धनबाद सदर, तोपचांची, झरिया, गोविंदपुर, निरसा, बाघमारा, बलियापुर एवं टुंडी में क्रमश: एक-एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व आठ प्रखंडों में कुल 30 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं, जहां लोगों का इलाज किया जाता है. इन स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति यह है कि यहां 58 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं. अलग-अलग स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों के 46 पद अब भी रिक्त हैं. ऐसे में समुचित चिकित्सा व्यवस्था नहीं होने के कारण लोगों को इलाज कराने के लिए एसएनएमएमसीएच का सहारा लेना पड़ता है.

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सदर अस्पताल में सुविधा बढ़ने पर एसएनएमएमसीएच का लोड होगा कम

सदर अस्पताल शुरू हुए दो वर्ष से ज्यादा हो चला है, लेकिन स्वास्थ्य सुविधा अबतक सुदृढ़ नहीं हो पायी है. 100 बेड के सदर अस्पताल में औसतन 70 बेड खाली रहते हैं. मरीजों की संख्या बढ़ाने पर अबतक कोई सकारात्मक पहल शुरू नहीं हो पायी है. रेडियोलॉजिस्ट, साइकेट्रिक, फॉरेंसिक स्पेशल, स्किन आदि का एक भी डॉक्टर अस्पताल में नहीं है. यहां डॉक्टर के स्वीकृत पद 24 हैं, जिसमें 10 खाली हैं.

सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल पर कब होगी नजर-ए-इनायत

मरीजों को उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए लगभग 84 करोड़ की लागत से एसएनएमएमसीएच के समीप सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनकर तैयार है. विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं होने से बिल्डिंग बेकार पड़ी है. अस्पताल में गंभीर रोगों से जुड़े विभाग के अलावा ट्रॉमा सेंटर भी खोलने की योजना है. सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल चालू होने से गंभीर रूप से बीमार व असाध्य रोगों से ग्रस्त मरीजों को सुविधा मिलेगी.

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