22.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Sawan Somwar 2020 Start Date : 5 सोमवार का होगा सावन, सर्वार्थसिद्धि योग समेत बन रहे कई और अद्भुत संयोग

sawan 2020, sawan somwar 2020 start date : देवघर (संजीव कुमार मिश्र) : सोमवार (6 जुलाई, 2020) से श्रावण मास की शुरुआत हो जायेगी. बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना के लिए सबसे पवित्र माने जाने वाले महीने की शुरुआत सोमवार से हो रही है और इसका अंत भी सोमवार को ही हो रहा है. इस बार कुल 5 सोमवार पड़ रहे हैं. श्रावण माह की शुरुआत सर्वार्थसिद्धि योग से हो रही है, तो इसका अंत भी सर्वार्थसिद्धि योग से ही हो रहा है. इसलिए इस बार सावन में कई संयोग बन रहे हैं.

देवघर (संजीव कुमार मिश्र) : सोमवार (6 जुलाई, 2020) से श्रावण मास की शुरुआत हो जायेगी. बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना के लिए सबसे पवित्र माने जाने वाले महीने की शुरुआत सोमवार से हो रही है और इसका अंत भी सोमवार को ही हो रहा है. इस बार कुल 5 सोमवार पड़ रहे हैं. श्रावण माह की शुरुआत सर्वार्थसिद्धि योग से हो रही है, तो इसका अंत भी सर्वार्थसिद्धि योग से ही हो रहा है. इसलिए इस बार सावन में कई संयोग बन रहे हैं.

देवघर के पंडा संजय कुमार मिश्र ने शनिवार (4 जुलाई, 2020) को कहा कि कोरोना ने संकट बढ़ा दिया है, लेकिन सावन का महीना बहुत बढ़िया है. इसमें कई संयोग बन रहे हैं. हालांकि, यह समय अनुकूल नहीं है. इसलिए भक्तों को बाबाधाम न आकर अपने घर से ही बाबा बैद्यनाथ का ध्यान करना चाहिए. उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बाबा बड़े भोले हैं. बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. इसलिए भक्त जहां हैं, वहीं अक्षत, चंदन और पुष्प से उनकी पूजा करें, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.

पंडा संजय कुमार मिश्र का कहना है कि ब्रह्मांड की रक्षा के लिए बाबा ने विष का पान किया था और वह नीलकंठ बने थे. इस बार विश्व में मौत का तांडव मचा रहे ‘कोरोना’ रूपी राक्षस का बाबा भोलेनाथ ही संहार करेंगे. उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 का समय अनुकूल नहीं है, लेकिन वर्ष 2021 बहुत बढ़िया होगा.

Also Read: Shravani Mela 2020 : देवघर के श्रावणी मेला की सदियों पुरानी परंपरा टूटी, झारखंड हाइकोर्ट ने हेमंत सोरेन सरकार को दिया ये निर्देश

उन्होंने कहा कि अगले साल से देवघर और बासुकीनाथ में क्रमश: बाबा बैद्यनाथ और बाबा बासुकीनाथ की पूजा-अर्चना पूरे धूमधाम से शुरू हो जायेगी. उन्होंने कहा कि बाबा भोलेनाथ संसार के पालनहार हैं. निश्चित रूप से वह कोरोना वायरस के खौफ से लोगों को मुक्ति दिलायेंगे. भक्तों को अपने आराध्य पर भरोसा रखना चाहिए. बाबा उन्हें फिर से बुलायेंगे और भक्त फिर से बाबा बैद्यनाथ को जल अर्पण करेंगे.

श्री मिश्र ने कहा कि 50-60 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि श्रावण मास सोमवार से शुरू होकर सोमवार को ही खत्म हो रहा है. प्रथम और अंतिम दोनों सोमवार को सर्वार्थसिद्धि योग है. इसलिए इस साल सावन का महत्व बहुत बढ़ जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा बहुत कम होता है कि चंद्र मास और सौर मास दोनों के अनुसार किसी सावन के महीने में 5 सोमवार आते हों. यही वजह है कि इस बार भक्तों को बाबा भोलेनाथ की आराधना करनी चाहिए, उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण होगी.

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि 6 जुलाई से पवित्र महीना सावन शुरू हो रहा है. सावन का महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है. ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त पूरी श्रद्धा से सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना करता है, उसकी सभी तरह की मनोकामनाएं भगवान शंकर जरूर पूरी करते हैं. सोमवार का दिन महादेव की भक्ति के लिए विशेष शुभ फलदायक है. जो भक्त श्रावण के महीने के सोमवार के दिन व्रत रखकर शिव की आराधना करता है, उसके जीवन में चल रही विवाह संबंधी समस्याएं जल्द दूर हो जाती हैं.

Also Read: झारखंड भाजपा की नयी टीम में रघुवर को नहीं मिली जगह, जिला संगठन प्रभारी और जिला अध्यक्षों की पूरी सूची यहां देखें
बेहद शुभ है इस वर्ष सावन मास

वर्ष 2020 के सावन का पहला सोमवार 6 जुलाई को है. इसके बाद 13, 20, 27 जुलाई और 3 अगस्त को सावन की सोमवारी पड़ती है. इस बार सावन में केवल 5 सोमवार ही नहीं पड़ रहे. कई शुभ योग भी बन रहे हैं. इसमें 11 सर्वार्थ सिद्धि योग, 10 सिद्धि योग, 12 अमृत योग और 3 अमृत सिद्धि योग शामिल हैं.

सावन की शिवरात्रि

श्रावण मास में शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शिवरात्रि मनायी जाती है. फाल्गुन और श्रावण मास की शिवरात्रि को विशेष फलदायी माना गया है. इस बार श्रावण मास की शिवरात्रि 18 जुलाई को मनायी जायेगी.

विष का ताप और शिव का जलाभिषेक

पौराणिक कथाओं में ऐसी मान्यता है कि जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तो समुद्र से अनमोल खजाने के साथ-साथ विष का घड़ा भी निकला था. अनमोल चीजें तो सभी देवताओं एवं असुरों ने अपने पास रख लिये, लेकिन विष के घड़े को लेने के लिए कोई तैयार न था. विष के प्रभाव को खत्म करने और समस्त लोकों की रक्षा करने के लिए भगवान भोलेनाथ आगे आये और विष का पान कर लिया.

विष के प्रभाव से भगवान शिव के शरीर का ताप बढ़ता जा रहा था. उनका शरीर नीला पड़ गया. तब सभी देवताओं ने विष के प्रभाव को कम करने के लिए भगवान शंकर पर जल चढ़ाना शुरू किया. इससे उनके शरीर का ताप कम हुआ. जिस वक्त जलाभिषेक किया गया, वह सावन का महीना था. इसलिए तभी से सावन के महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक करने की परंपरा शुरू हुई, जो आज भी जारी है.

Posted By : Mithilesh Jha

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel