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चाइनीज खिलौने को ठिकाने लगाने में जुटी मोदी सरकार, ड्रैगन को लगेगा त्योहारी झटका

भारत-चीन सीमा विवाद गहराने के बाद 59 चीनी एप्स पर रोक लगाए जाने और कई सरकारी टेंडरों को रद्द किए जाने के बाद अब मोदी सरकार चीन से आयातित खिलौने को भी ठिकाने लगाने की तैयारी में जुट गयी है. सरकार ने विदेश से आयात होने वाले बच्चों के खिलौने संबंधी नियमों को सख्त कर दिया है. सरकार आगामी 1 सितंबर से सभी तरह के खिलौनों के लिए गुणवत्ता मानतों को अनिवार्य करने की तैयारी कर चुकी है. इसके लिए सरकार भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने अपने मानकों के अनुरूप खिलौना बनाने वाली भारतीय कंपनियों को लाइसेंस देना भी शुरू कर दिया है. नये नियमों के मुताबिक, अब देश में तैयार होने वाले बच्चों के हर खिलौने पर बीआईएस का मार्क लगाना अनिवार्य होगा.

नयी दिल्ली : भारत-चीन सीमा विवाद गहराने के बाद 59 चीनी एप्स पर रोक लगाए जाने और कई सरकारी टेंडरों को रद्द किए जाने के बाद अब मोदी सरकार चीन से आयातित खिलौने को भी ठिकाने लगाने की तैयारी में जुट गयी है. सरकार ने विदेश से आयात होने वाले बच्चों के खिलौने संबंधी नियमों को सख्त कर दिया है. सरकार आगामी 1 सितंबर से सभी तरह के खिलौनों के लिए गुणवत्ता मानतों को अनिवार्य करने की तैयारी कर चुकी है. इसके लिए सरकार भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने अपने मानकों के अनुरूप खिलौना बनाने वाली भारतीय कंपनियों को लाइसेंस देना भी शुरू कर दिया है. नये नियमों के मुताबिक, अब देश में तैयार होने वाले बच्चों के हर खिलौने पर बीआईएस का मार्क लगाना अनिवार्य होगा.

आयातित खिलौनों पर भी बीआईएस मार्क लगाना जरूरी : मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, भारतीय मानक ब्यूरो ने खिलौना बनाने वाली देसी कंपनियों को साधारण और बिजली चालित खिलौनों के निर्माण की खातिर लाइसेंस देना शुरू कर दिया है. विदेशी कंपनी भी बीआईएस के मानकों के मुताबिक खिलौना बनाने संबंधी आवेदन कर सकती हैं. एक सितंबर के बाद देश में आयातित खिलौनों पर भी बीआईएस मानक का मार्क लगाना अनिवार्य हो जाएगा. ऐसे में, चीन से आयातित खिलौनों पर रोक भी लगायी जा सकती है, क्योंकि चीन से बड़ी तादाद में खिलौने आयात किए जाते हैं. गुणवत्ता के मानकों का पालन कर बनाए जाने वाले खिलौनों पर बीआईएस मार्क लगाना भी अनिवार्य होगा.

देश में 70 फीसदी खिलौने चीन से होते हैं आयात : वर्ष 2017 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में करीब 70 फीसदी से अधिक खिलौने चीन से आयायत किए जाते हैं. इसके साथ ही, घरेलू स्तर पर खिलौना उद्योग करीब 5000 करोड़ रुपये का है. भारत खिलौनों का सबसे बड़ा बाजार है. यहां पर चीन के अलावा, थाईलैंड और फिलीपींस से भी खिलौनों का आयात किया जाता है. बीआईएस के मानक अनिवार्य होने के बाद विदेश से आयातित खिलौनों को भी मानकों पर खरा उतरना होगा. अब तक खिलौनों के लिए गुणवत्ता के मानक अनिवार्य नहीं थे. ऐसे में कई कंपनियां खिलौनों में खतरनाक केमिकल्स का इस्तेमाल कर रही हैं.

तीन साल पहले भी सरकार ने विदेशी खिलौने के आयात पर नियम किये थे सख्त : गौरतलब है कि मोदी सरकार ने वर्ष 2017 के सितंबर महीने में भी आयातित खिलौनों पर रोक लगाने की खातिर नियमों को सख्त किया था. उस समय भी सरकार ने विदेश से मंगाए जाने वाले खिलौने के लिए गुणवत्ता नियमों को काफी सख्त कर दिया था. सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया था, ताकि चीनी खिलौनों के आयात को कम करके घरेलू खिलौना कंपनियों बढ़ावा दिया जा सके. विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) की तरफ से 1 सितंबर 2017 को जारी की गयी अधिसूचना के अनुसार, केवल वे खिलौने ही आयात किए जाने थे, जो भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के तय मानकों पर खरे उतरेंगे.

सरकार ने इन खिलौने के आयात नियमों को किया था कड़ा : सरकार की ओर से जिन खिलौनों के आयात पर नियम सख्त किए गए थे, उनमें इलेक्ट्रॉनिक खिलौने, स्लाइड्स, झूले और एक्टिविटी टॉयज शामिल थे. तब की अधिसूचना के अनुसार, खिलौनों की फिजिकल और मेकेनिकल प्रॉपर्टी, केमिकल कांटेट, ज्वलनशीलता और टेस्टिंग पर नए मानक तय किए गए थे. जो भी खिलौना इन मानकों पर खरा उतरेगा, केवल उसी को देश भर में बेचने की अनुमति प्रदान की जाएगी. कंपनियों या फिर आयातकों को ऐसे खिलौनों के लिए स्वतंत्र लैबोट्ररी से सर्टिफिकेट भी लेना होगा.

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Posted By : Vishwat Sen

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