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लॉजिस्टिक को ढांचागत क्षेत्र का दर्जा, फंड राइजिंग में मिलेगी मदद

नयी दिल्ली : लॉजिस्टिक उद्योग को सरकार ने ढांचागत क्षेत्र का दर्जा प्रदान कर दिया है. शीतगृह और गोदाम सुविधा इत्यादि क्षेत्र लॉजिस्टिक के तहत आते हैं. सरकार के इस कदम से इन क्षेत्रों को प्रतिस्पर्धी दर पर और अधिक कोष आकर्षित करने में मदद मिलेगी. देश में बुनियादी सुविधाएं बढाने के लिए सरकार परिवहन […]

नयी दिल्ली : लॉजिस्टिक उद्योग को सरकार ने ढांचागत क्षेत्र का दर्जा प्रदान कर दिया है. शीतगृह और गोदाम सुविधा इत्यादि क्षेत्र लॉजिस्टिक के तहत आते हैं. सरकार के इस कदम से इन क्षेत्रों को प्रतिस्पर्धी दर पर और अधिक कोष आकर्षित करने में मदद मिलेगी. देश में बुनियादी सुविधाएं बढाने के लिए सरकार परिवहन और लॉजिस्टिक क्षेत्र में और अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए काम कर रही है.
मौजूदा रपरेखा में संशोधन करते हुए आर्थिक मामलों के विभाग ने एक अधिसूचना जारी की है. इसमें कहा गया है कि ढांचागत क्षेत्र का दायरा बढाया जा रहा है. इसमें परिवहन क्षेत्र के तहत एक उपश्रेणी परिवहन एवं लॉजिस्टिक को भी शामिल किया गया है.
लॉजिस्टिक को यह दर्जा दिए जाने से उसे प्रतिस्पर्धी दरों पर दीर्घकालिक ऋण प्राप्त करने में मदद मिलेगी। लॉजिस्टिक की लागत बढने से निर्यातकों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होती है.
भारत में निर्यात की लॉजिस्टिक लागत बहुत ज्यादा है. इस कारण से भारतीय माल वैश्विक बाजारों में कम प्रतिस्पर्धी हो जाता है.
लॉजिस्टिक की परिभाषा के तहत औद्योगिक पार्क, गोदाम, शीत गृह और परिवहन क्षेत्र आते हैं.
अधिसूचना के अनुसार लॉजिस्टिक ढांचे में अंतरदेशीय कंटेनर डिपो समेत ऐसे मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क आते हैं जिनकी स्थापना न्यूनतम 50 करोड रपये के निवेश से न्यूनतम 10 एकड क्षेत्र में की गई हो। साथ ही ऐसे शीतगृह जो कम से कम 15 करोड रपये की लागत से और ऐसे गोदाम जो 25 करोड रपये की लागत से स्थापित किए गए हों, लॉजिस्टिक क्षेत्र के तहत आते हैं. इन दोनों के लिए न्यूनतम भूमि के भी मानक तय किए गए हैं.
वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले आर्थिक मामलों के विभाग ने ढांचागत क्षेत्र की उप-श्रेणियों की वृहद संगत सूची को संशोधित करते हुए लॉजिस्टिक क्षेत्र को इसी के वर्गीकरण में शामिल किया है.
ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक के अलावा इस सूची में ऊर्जा, जल एवं स्वच्छता, संचार, सामाजिक एवं वाणिज्यिक बुनियादी ढांचा शामिल हैं. सडक एवं सेतु, बंदरगाह, शिपयार्ड, अंतरदेशीय जलमार्ग, हवाईअड्डा, रेलवे ट्रैक, सुरंग, वायाडक्ट, स्टेशनों समेत टर्मिनल ढांचे और शहरी सार्वजनिक परिवहन इत्यादि लॉजिस्टिक क्षेत्र के तहत ही आते हैं.

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