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ट्रैफिक पुलिस कैसे करती है काम, कहां से हुई थी इसकी शुरुआत

सही मायने में यातायात पुलिस का मुख्य काम शहर की ट्रैफिक को कंट्रोल करना और सड़क हादसों को रोकना है. ट्रैपिक को कंट्रोल करने के लिए यातायात पुलिस के द्वारा सड़कों पर संकेतक भी लगाए जाते हैं. यातायात पुलिस के जवान ट्रैफिक और सड़क हादसों को कंट्रोल करने के साथ ही यातायात नियमों का पालन भी कराते हैं.

नई दिल्ली : भारत के राज्यों में कानून व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है. इसके अलावा, शहरों में यातायात व्यवस्था को भी पुलिस ही संभालती है. इसलिए इसे यातायात पुलिस अथवा ट्रैफिक पुलिस भी कहा जाता है. यातायात का नियंत्रित करने का काम आसान नहीं होता है. इस काम को नागरिक पुलिस नहीं करती है. शहर की यातायात व्यवस्था को संभालने के लिए यातायात पुलिसकर्मी को ट्रेनिंग दी जाती है. आइए, जानते हैं कि हमारे देश के शहरों में यातायात पुलिस कैसे कम करती है और इसकी शुरुआत कैसे हुई?

यातायात पुलिस क्या है?

आपने अक्सरहां अपने शहर अथवा इलाके की मुख्य सड़कों और चौहारों पर सफेद वर्दी, नीली पतलून और नीली टोपी पहने पुलिस के जवान को खड़े देखते होंगे. इन्हें ही ट्रैफिक पुलिस कहा जाता है. सर्दी, गर्मी या बरसात हो, हर मौसम में ये यातायात पुलिस के जवान अपना काम करते नजर आते हैं.

यातायात पुलिस का क्या है काम

सही मायने में यातायात पुलिस का मुख्य काम शहर की ट्रैफिक को कंट्रोल करना और सड़क हादसों को रोकना है. ट्रैपिक को कंट्रोल करने के लिए यातायात पुलिस के द्वारा सड़कों पर संकेतक भी लगाए जाते हैं. यातायात पुलिस के जवान ट्रैफिक और सड़क हादसों को कंट्रोल करने के साथ ही यातायात नियमों का पालन भी कराते हैं.

यातायात पुलिस के पास जुर्माने का अधिकार

अगर कोई वाहन चालक यातायात नियमों का पालन नहीं करता है, दोपहिया वाहन चालक हेलमेट नहीं पहनता है, किसी के पास ड्राइविंग लाइसेंस अथवा गाड़ी के कागज नहीं होते हैं, तो यातायात पुलिस के पास जुर्माना लगाने का भी अधिकार है. यही वजह है कि यातायात पुलिस सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों पर पैनी नजर रखती है. अब तो सड़कों पर यातयात नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों की पहचान के लिए मुख्य सड़कों और चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं या लगा दिए गए हैं. इसके साथ ही, गाड़ियों के कागजात और ड्राइविंग लाइसेंस चलाने के लिए यातायात पुलिस के द्वारा अभियान भी चलाया जाता है. इतना ही नहीं, यातायात नियमों का पालन करने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए भी इसकी ओर से अभियान चलाया जाता है. इसके अलावा, अपराधियों की धर-पकड़ में भी यातायात पुलिस की अहम भूमिका होती है.

यातायात पुलिस की कब हुई थी स्थापना

पुलिस के इतिहास के अनुसार, यातायात पुलिस की शुरुआत नागरिक पुलिस से पहले ही हो गई थी. ऐसा माना जाता है कि करीब तीन शताब्दियों से यातायात पुलिस किसी न किसी रूप से काम करती आ रही है. मीडिया की रिपोर्ट्स की मानें, तो 18वीं सदी के दौरान जब सड़कों पर यातायात बढ़ने लगा, तो इन वाहनों का संचालन सुचारू रूप से करने के लिए यातायात पुलिस की स्थापना की गई. इसके साथ ही, शहर की यातायात व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कुछ कायदे-कानून भी बनाए गए.

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सबसे पहले यातायात पुलिस ने कहां पर शुरू किया काम

मीडिया की रिपोर्ट्स में बताया गया है कि सन् 1722 ईस्वी में लंदन के तत्कालीन मेयर ने यातायात व्यवस्था को संभालने के लिए तीन लोगों की नियुक्ति की थी. उन तीन व्यक्तियों को लॉर्ड मेयर की ओर से निर्देश दिया गया था कि शहर में यातायात यानी गाड़ियों की आवाजाही बाईं ओर से कराई जाए और सड़क पर चलने वाली ये गाड़ियां लंदन ब्रिज पर न रुकें. लंदन में यातायात व्यवस्था को संभालने के लिए लॉर्ड मेयर की ओर से नियुक्त किए गए तीन लोगों को ही बाद के वर्षों में यातायात पुलिस मान लिया गया और 1722 ईस्वी को ही यातायात पुलिस का स्थापना वर्ष कहा गया.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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