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दिनकर के लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि था

भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित इस रचना में काम जैसे मनोभाव को स्वीकार करने और उसे आध्यात्मिक गरिमा तक पहुंचाने के लिए जिस साहस की जरूरत थी, वह दिनकर में मौजूद था.

जरूरी है छोटे और सीमांत किसानों को सशक्त बनाना

सीमांत किसानों को सशक्त बनाने और भारत की अनाज भंडारण योजना में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए अधिक सूक्ष्म तथा विकेंद्रीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है.

आगामी बजट और भारतीय कृषि

भारतीय किसानों का औसत घरेलू ऋण सात लाख रुपये अधिक है. कर्ज और आर्थिक संकट के बोझ तले दबा किसान आत्महत्या करने को मजबूर है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में 6,083 कृषि मजदूरों और 5,207 किसानों ने आत्महत्या की थी.

अदृश्य जातियों की पहचान जरूरी

शायद ही कोई ऐसा गांव होगा, जहां अति पिछड़ी जातियां निवास न करती हों, लेकिन ये सभी जातियां इतनी कम और बिखरी हुई हैं कि कोई भी दल इनकी समस्याओं को सुनना नहीं चाहता है.

जातिविहीन समाज के स्वप्नदर्शी थे डॉ राम मनोहर लोहिया, पढ़ें यह खास लेख

डॉ लोहिया ने जाति आधारित विषमता को गंभीर सामाजिक अन्याय के रूप में देखा और माना कि यह भारत के एक आधुनिक, न्यायसंगत राष्ट्र बनने की दिशा में बाधा है.

महात्मा गांधी : शांतिपूर्ण संघर्ष के शक्तिशाली प्रतीक

गांधीजी के अहिंसक प्रतिरोध के तरीकों, जैसे कि सत्याग्रह (सत्य बल) ने दिखाया कि रक्तपात का सहारा लिये बिना भी सबसे शक्तिशाली उत्पीड़कों का सामना करना संभव था. गांधी के जीवन के सबसे प्रतिष्ठित क्षणों में से एक 1930 का नमक मार्च (अवज्ञा का प्रतीक) था.